मंत्री डॉ. एम.बी. पाटील ने विवाद के बीच संतों के सम्मान और लिंगायत धर्म की गरिमा पर दिया जोर
प्रशासनिक निर्णय से खुद को किया अलग
विजयपुर. वृहद एवं मध्ययम उद्योग मंत्री डॉ. एम.बी. पाटील ने कहा है कि यदि कन्हेरी श्री (स्वामी) अपने विवादित वक्तव्य के लिए क्षमा मांगते हैं, तो वे स्वयं उनके चरण छूकर उन्हें विजयपुर लाने को तैयार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि कनेरी श्री उनके आत्मीय हैं और सिद्धेश्वर स्वामी के शिष्य हैं, जिनका सम्मान वे व्यक्तिगत रूप से करते हैं।
यह बयान उस समय आया है जब कन्हेरी श्री के विजयपुर प्रवेश पर प्रशासनिक प्रतिबंध को लेकर राजनीतिक और धार्मिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। पाटील ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय जिला प्रशासन और पुलिस विभाग की ओर से लिया गया था, जिसमें उनका कोई व्यक्तिगत हस्तक्षेप नहीं था। उच्च न्यायालय ने प्रशासन के आदेश को सही ठहराया है।
संत वाणी में संयम की आवश्यकता
पाटील ने कहा कि एक संत द्वारा दूसरे संत के प्रति अनुचित शब्दों का प्रयोग करना दुखद है। संत वाणी में संयम आवश्यक है। धार्मिक नेतृत्व को समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने की दिशा में कार्य करना चाहिए।
लिंगायत धर्म को ‘वैश्विक धर्म’ का दर्जा
पाटील ने सिद्धेश्वर स्वामी की पुस्तक ‘वैश्विक धर्मों का सार सूक्तियां’ का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वामी ने उसमें लिंगायत धर्म को ‘वैश्विक धर्म’ का दर्जा दिया है। यह विचारधारा समावेशी और वैश्विक दृष्टिकोण को दर्शाती है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि में बयान का महत्व पाटील का यह बयान न केवल धार्मिक सम्मान की भावना को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि राज्य सरकार विवादों को सुलझाने के लिए संवाद और सम्मान की नीति अपनाना चाहती है। यह बयान राज्य की राजनीति में संतों की भूमिका और धार्मिक नेतृत्व के प्रभाव को भी रेखांकित करता है।
