एक्सपायरी दवाओं की आपूर्ति पर लोकायुक्त की छापेमारी
कर्मचारियों-अधिकारियों पर करोड़ों के फर्जी बिल का आरोप
बेंगलूरु से भेजी गई विशेष टीम ने पहले ही जताई थी गड़बड़ी
विधायक वेदव्यास कामत बोले-“जनता की जान से खिलवाड़, पीछे कौन-सी ताकतें?”
मेंगलूरु. शहर के आयुष अस्पताल में दवाओं की खरीद के नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। लोकायुक्त अधिकारियों ने अस्पताल और कार्यालय में औचक छापेमारी कर कई दस्तावेज जब्त किए। इस कार्रवाई से आरोपों को और मजबूती मिली है और मामला अब सार्वजनिक चर्चा का केंद्र बन गया है।
आरोपों की परतें
आरोप लगाए जा रहे हैं कि दवा खरीद के टेंडर को अधिकारियों के परिचित लोगों ने कम कीमत दिखाकर हासिल किया। इसके बाद हासन, चिक्कमगलूरु और माडिकेरी क्षेत्रों से एक्सपायरी दवाएं मंगवाकर उनके कवर हटाकर अस्पताल में स्टॉक किया गया। रोगियों को वही अवधी-पार दवाएं देकर इलाज किया जाता रहा, जिससे उनकी जान को सीधा खतरा था।
आरोप है कि इन दवाओं का बिल करोड़ों रुपए में जिला पंचायत के वरिष्ठ अधिकारियों से मंजूर करवाकर टेंडरधारी और विभागीय अधिकारियों ने आपस में रकम बांटी। यह गोरखधंधा महीनों से चल रहा था और करोड़ों की अनियमितता का अनुमान लगाया जा रहा है।
जांच और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस गंभीर मामले की शिकायत पहले ही दक्षिण कन्नड़ जिलाधिकारी और ्रआयुष विभाग के आयुक्त तक पहुंच चुकी थी। बेंगलूरु से भेजी गई विशेष जांच टीम ने भी प्रारंभिक रिपोर्ट में आरोपों को सही पाया था।
हाल ही में हुई केडीपी बैठक में विधायक वेदव्यास कामत ने इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाया था। स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव ने कहा था कि आरोप सही पाए गए तो कठोर कार्रवाई होगी। आश्चर्य यह कि उसी के दो दिन बाद लोकायुक्त की छापेमारी शुरू हो गई।
लोकायुक्त की कार्रवाई
लोकायुक्त के उपाधीक्षक गान पी. कुमार के नेतृत्व में हुई छापेमारी में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं। विधायक कामत ने आरोप लगाया कि कुछ अधिकारी लालच में आकर जनता की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न होना, इसके पीछे किसी बड़े संरक्षण की ओर संकेत करता है।
सनसनी और दबाव
मामला अब राज्य स्तर पर राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में सनसनी का विषय बन चुका है। जनता और विपक्ष सरकार से तत्काल कठोर कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।

