बिदरी कला पर महंगाई की मारबीदर की बिदरी कला।

चांदी के दामों में उछाल से संकट

कावेरी कॉम्प्लेक्स बंद होने से कच्चा माल ठप

बीदर. विश्वविख्यात बिदरी (बर्तनों पर नक्काशी) कला और इसके कलाकार इन दिनों गहरे संकट से जूझ रहे हैं। चांदी, तांबा और जिंक (सतु) जैसे कच्चे माल की कीमतों में लगातार वृद्धि से उत्पादन प्रभावित हो रहा है। हालत यह है कि कलाकारों के लिए कच्चा माल खरीदना ही कठिन हो गया है।

बीदर के मैलूर रोड स्थित कावेरी कॉम्प्लेक्स के बंद हो जाने से समस्या और बढ़ गई है। कॉम्प्लेक्स बंद होने से तैयार कलाकृतियों को बेंगलूरु स्थित कावेरी एम्पोरियम भेजना भी ठप हो गया है। इससे बिक्री प्रभावित हुई है और कलाकारों की आजीविका पर सीधा असर पड़ा है।

150 से अधिक कलाकार परेशान, उत्पादन घटा

बिदरी सेंट्रल वक्र्स के कलाकार खुर्रम खान बताते हैं कि बीदर में 150 से अधिक कलाकार काम कर रहे हैं। लेकिन बढ़ती कीमतों के कारण चांदी, तांबा और सतु खरीदना मुश्किल हो गया है। बाजार की मांग है, परन्तु उत्पादन घट गया है।

बिदरी कला का निर्माण कई सूक्ष्म चरणों में पांच से अधिक लोगों की संयुक्त मेहनत से होता है। मेहनत अधिक और लागत बढऩे से कलाकार इस परंपरागत कला से विमुख होने लगे हैं। महंगाई, कावेरी कॉम्प्लेक्स का बंद होना और सरकारी सहायता का अभाव-ये सभी कारण कलाकारों के सामने बड़ी चुनौती बनकर खड़े हैं।

केवल बीदर में ही बनती है बिदरी कला

बिदरी कला की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सिर्फ बीदर में ही बनती है। इसकी अहम प्रक्रिया बीदर किले की विशिष्ट मिट्टी पर आधारित है।

इस मिट्टी से कलाकृतियों को रगडऩे पर सतु (जिंक) काला हो जाता है, जबकि चांदी का रंग जस का तस बना रहता है। यही बिदरी कला की पहचान है।

वैश्विक पहचान वाली कला पर संकट

बिदरी कला को वर्ष 2016 में जीआई टैग प्राप्त हुआ था। इसके बाद दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता सहित विदेशों में भी इसकी भारी मांग बनी। परन्तु कच्चे माल की महंगाई और लागत के अनुरूप उचित लाभ न मिलने से कलाकार पीछे हटने लगे हैं।

कलाकार खुर्रम कहते हैं कि हम दो-तीन पीढिय़ों से बिदरी कला से जुड़े हैं। लेकिन चांदी सहित सभी कच्चे माल की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। कावेरी कॉम्प्लेक्स का बंद होना हमारी मुश्किल और बढ़ा रहा है। सरकार को तत्काल हमारी सहायता करनी चाहिए।

कलाकार अब्दुल बसीत का कहना है कि चांदी महंगी होने से बिदरी कलाकृतियों की कीमत भी बढ़ गई है। केवल वास्तविक संग्रहकर्ता ही इन्हें खरीद पा रहे हैं।

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