हेल्पलाइन तक नहीं पहुंच रही दुग्ध उत्पादों की कॉल
सरकार ने की 13 एंबुलेंस की आपूर्ति
कारवार. एक व्यापक शिकायत है कि बीमार मवेशियों को उनके दरवाजे पर इलाज प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से शुरू की गई पशु संजीवनी एम्बुलेंस को कॉल करके डेयरी (दुग्ध उत्पादक) किसान परेशान हुए हैं परन्तु एम्बुलेंस समय पर उनके घरों तक नहीं पहुंच रही है।
सरकार ने पिछले वर्ष जिले को पशु संजीविनी योजना के तहत 13 एंबुलेंस की आपूर्ति की थी। केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से वित्त पोषित परियोजना के प्रबंधन के लिए डॉक्टरों, सहायकों, तकनीशियनों, चालकों सहित आवश्यक कर्मचारियों को भी नियुक्त किया गया है। वाहन अच्छी स्थिति में हैं, फिर भी उनका उपयोग मात्र कम हो रहा है।
पुणे की कंपनी को दिया रखरखाव का ठेका
गायें या घरेलू जानवर के बीमार पडऩे पर उन्हें ग्रामीण इलाकों से शहरों और कस्बों के पशु चिकित्सालयों तक लाना चुनौती है, इसलिए डेयरी किसानों के 1962 नंबर पर कॉल करने पर उनके दरवाजे तक एम्बुलेंस भेजने के लिए एक प्रणाली तैयार कर पशु संजीविनी योजना गठित की गई थी। पुणे स्थित कंपनी को कॉल और वाहन रखरखाव का ठेका दिया गया है।
उपकरणों का खराब होने का डर
नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने कहा कि पशु संजीवनी योजना के तहत कॉल स्वीकार नहीं करने के परिणामस्वरूप पशु संजीवनी एम्बुलेंस को जानकारी नहीं मिल पाने से वे संबंधित पशु चिकित्सालयों के पास ही खड़े हैं। एम्बुलेंस के अंदर स्कैनिंग मशीन सर्जरी विभाग प्रयोगशाला सहित कई उन्नत उपकरण हैं। अगर इनका इस्तेमाल नहीं किया गया तो डर है कि ये खराब स्थिति में पहुंच जाएंगे।
फोन का कोई जवाब नहीं मिला
सिद्धापुर तालुक कोडसर के महाबलेश्वर ने कहा कि जब से योजना शुरू हुई है, हमें ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। कई बार हेल्पलाइन नंबर 1962 पर कॉल या तो रिसीव नहीं हुई या लाइन व्यस्त थी। दिन में दर्जनों बार फोन करने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला, इसलिए उन्हें घर पर एक निजी पशुचिकित्सक को बुलाकर गाय का इलाज करना पड़ा।
एक दिन भी फोन उठाते नहीं
तालुक के नैतिसावर के रूपेश नायक ने कहा कि पशु संजीविनी वाहन को चलते हुए देखना दुर्लभ है। मवेशियों के इलाज के लिए एक वाहन दरवाजे पर आएगा के प्रचार पर विश्वास करके फोन करने पर एक दिन भी फोन उठाते (रिसीव) नहीं हैं।
वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया है
पशु संजीविनी परियोजना का विभाग की ओर से व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया है परन्तु पता चला है कि डेयरी किसानों की ओर से आपातकालीन कॉल स्वीकार नहीं करने की शिकायतें बढ़ रही हैं। इस बारे में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया है।
–डॉ. मोहन कुमार, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग