किम्स में प्रति वर्ष भर्ती होते हैं 2,650 मरीज, साल दर साल बढ़ रही है मरीजों की संख्या
तीन प्रमुख निजी अस्पतालों में भर्ती होते हैं औसतन 2,000 से 2,500 मरीज
हुब्बल्ली. धारवाड़ जिले में कैंसर के इलाज के लिए भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (किम्स) में प्रति वर्ष 2,650 मरीज भर्ती होते हैं, जबकि यहां के तीन प्रमुख निजी अस्पतालों में औसतन 2,000 से 2,500 मरीज भर्ती होते हैं।
ऑन्कोलॉजिस्ट के बयानों के अलावा सटीक आंकड़े प्राप्त करना मुश्किल है कि कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। बेंगलूरु के किदवई कैंसर अस्पताल के पीसीबीआर सर्वेक्षण (2021) के अनुसार, धारवाड़ जिले में 2,575 (पुरुष-1,109, महिला-1,476) मामले दर्ज हुए हैं।
उत्तर कर्नाटक में कैंसर पीड़ितों के इलाज के उद्देश्य से नवनगर कैंसर अस्पताल की शुरुआत 1977 में डॉ. आरबी पाटिल ने की थी। किम्स में भी 30 वर्षों से कैंसर का इलाज किया जा रहा है। बाद के वर्षों में, निजी अस्पतालों ने भी पूर्ण पैमाने पर कैंसर का इलाज करने में जुट गए।
उत्तर कर्नाटक में ही सबसे अधिक रोगियों के आने वाले किम्स में कैंसर रोगियों के लिए 60 बिस्तरों वाला एक केंद्र हैै। यहां 30 वर्षों से हर साल औसतन 2,000-2,500 कैंसर रोगियों का इलाज किया जाता है। हुब्बल्ली-धारवाड़ के अलावा कोप्पल, गदग, हावेरी, उत्तर कन्नड़, बागलकोट, विजयपुर, बल्लारी-विजयनगर जिलों से भी मरीज यहां आते हैं।
किम्स में प्रतिदिन 60 कैंसर रोगियों को रेडियोथेरेपी और औसतन 30 को कीमो किया जाता है। किम्स को जिले में सबसे शक्तिशाली विकिरण मशीन होने पर गर्व है परन्तु पीईटी स्कैन और आणविक जीव विज्ञान प्रयोगशाला प्रणाली की कमी इलाज में बाधक बनी हुई है।
बायोप्सी की आवश्यकता
किम्स के कैंसर विभाग के प्रमुख डॉ. गिरियप्प गौड़र ने बताया कि कैंसर बढऩे की स्टेज पर अलग-अलग जिलों से मरीज यहां आकर भर्ती होते हैं। चरण जानने के लिए बायोप्सी की आवश्यकता होती है और रिपोर्ट प्राप्त होने में 10 से 15 दिन लगते हैं। रिपोर्ट की जांच के बाद मरीज को जरूरी कीमोथेरेपी, सर्जरी, रेडियोथेरेपी दी जाती है। उस समय तक बीमारी और अधिक बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि कैंसर के प्रसार की तुरंत पहचान करने के लिए पीईटी स्कैन की आवश्यकता होती है परन्तु यह किम्स में उपलब्ध नहीं है। बाहर स्कैन करने पर 25 हजार रुपए का खर्च आता है। यहां आने वाले सभी मरीज गरीब होते हैं। आर्थिक समस्या के कारण वे स्कैन नहीं करा पाते हैं। किम्स में ही पीईटी स्कैन स्थापित करने पर मरीजों को अधिक सुविधा होगी।
पूरा भुगतान करके इलाज करना चाहिए
किम्स के अलावा हुब्बल्ली में केसीटीआरआई नवनगर (चैरिटी हॉस्पिटल), एचसीजी एनएमआर, रेडॉन हॉस्पिटल में इलाज उपलब्ध है। इनमें एचसीजी एनएमआर अस्पताल में पेट स्कैन, कीमोथेरेपी, सर्जरी, रेडियोथेरेपी सभी एक ही छत के नीचे उपलब्ध हैं। ईएसआई और आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के अलावा बकाया पूरा भुगतान करके इलाज करना चाहिए।
मरीज की रिश्तेदार संगव्वा ने बताया कि चक्कर लगाकर आने तक पैर दर्द करते हैं। किम्स में आए छह-सात दिन बीत चुके हैं परन्तु मुझे नहीं पता कि कैंसर विभाग में कैसे आऊं। एक भी बोर्ड नहीं है।
एक ही छत के नीचे हो सारे इलाज
कैंसर रोगियों के रिश्तेदारों का कहना है कि किम्स में सभी प्रकार के कैंसर के मरीज भर्ती हो रहे हैं, ब्लड कैंसर, हड्डी कैंसर और बच्चों के लिए कैंसर के इलाज की कोई सुविधा नहीं है। बेंगलूरु के किदवई कैंसर अस्पताल तरह यदि सभी प्रकार के कैंसर रोगों का इलाज एक ही छत के नीचे उपलब्ध हो जाए तो उत्तर कर्नाटक के रोगियों को बहुत लाभ होगा। इसके लिए किम्स में एक क्षेत्रीय कैंसर केंद्र (आरसीसी) शुरू करने की जरूरत है। डॉ. गिरियप्प गौडर और एंको टीम ने हाल ही में किम्स में क्षेत्रीय कैंसर केंद्र शुरू करने के संबंध में विधायक महेश टेंगिनाकाई को ज्ञापन भी सौंपा है।
शुल्क लिए बिना सर्जरी
नवनगर स्थित कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर ट्रीटमेंट एंड रिसर्च में सर्जरी कराने वाले मरीजों से शुल्क लिए बिना सर्जरी करने की प्रथा जारी रखी है।
-डॉ. बीआर पाटिल, ओन्को सर्जन, केसीटीआरआई, नवनगर
सभी सुविधाएं हैं
किम्स में पीईटी स्कैन को छोडक़र सभी सुविधाएं हैं। पीईटी स्कैन सुविधा स्थापित होने पर मरीजों को एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएं मिलेंगी।
–डॉ. गिरियप्प गौड़र, प्रमुख, कैंसर विभाग, किम्स
विशेष प्रयास किए जाएंगे
जिले में कैंसर के बढ़ते मामलों के बारे में पता नहीं है। हुब्बल्ली में एक सर्वसुविधायुक्त कैंसर अस्पताल खोलने का प्रस्ताव सरकार के ध्यान में लाया जाएगा और उस संबंध में विशेष प्रयास किए जाएंगे।
–संतोष लाड, जिला प्रभारी मंत्री