घरों में फंसे मवेशियों की मौत, दुर्गंध से संक्रामक रोग फैलने का खतराचित्तापुर तालुक का बाढ़ प्रभावित गांव।

भीषण बाढ़ से तबाही

कलबुर्गी. पिछले पांच-छह दिनों से भीमा नदी की बाढ़ की चपेट में आए चित्तापुर तालुक के कडबूर, सन्नति, कोल्लूर, चामनूर और कुंदनूर गांव अब धीरे-धीरे पानी से बाहर आ रहे हैं परन्तु बाढ़ के उतरने के बाद गांवों का दृश्य और भी भयावह बन गया है। पानी में फंसे रहकर मवेशी, बकरियां, मुर्गियां, भैंसें और यहां तक कि मछलियां भी मर गईं। अब इन मृत जीवों की दुर्गंध से पूरे इलाके में वातावरण दूषित हो रहा है और संक्रामक रोग फैलने की आशंका गहरा गई है।

स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण

बाढ़ का पानी घटते ही घरों में जमा की गई सालभर की खाद्यान्न सामग्री, दालें, कपड़े, बच्चों की पाठ्यपुस्तकें, स्कूल ड्रेस, बिस्तर और कीमती कागजात पूरी तरह नष्ट हो गए हैं। हजारों परिवार निराशा में डूबे हैं और सरकारी मदद की बाट जोह रहे हैं। कई स्थानों पर कांटों व झाडिय़ों में मृत कुत्ते, सूअर और अन्य जानवर फंसे दिखाई दे रहे हैं। बदबू और गंदगी से लोग बेहद परेशान हैं, वहीं सांप-बिच्छू घरों में घुस जाने से स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो गई है।

खाद्य सामग्री किट भी वितरित की जा रही हैं

तहसीलदार नागय्या हिरेमठ ने बताया कि मंगलवार से बाढ़ का पानी कम होना शुरू हुआ है। प्रभावितों को अस्थायी राहत केंद्रों से वापस गांव भेजने की व्यवस्था की गई है। गांवों में बिजली बहाल की गई है और टैंकरों से पेयजल आपूर्ति शुरू की गई है। चिकित्सा शिविर लगाकर दवाएं बांटी जा रही हैं तथा स्वच्छता अभियान के साथ कीटनाशक छिडक़ाव कराया जा रहा है। मंत्री प्रियांक खरगे के आदेश पर बुधवार से बाढ़ पीडि़तों को खाद्य सामग्री किट भी वितरित की जा रही हैं।

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