स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता
स्वास्थ्य विभाग से भी सहयोग
हुब्बल्ली. लगातार जागरूकता के कारण जिले में बाल विवाह की संख्या में साल दर साल कमी आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों और अभिभावकों में जागरूकता पैदा होने के परिणामस्वरूप, लड़कियां साहस दिखा रही हैं और बाल विवाह को रोकने के लिए आगे आ रही हैं।
धारवाड़ जिले में मई 2022 से अब तक कुल 14 बाल विवाह हुए हैं, 82 बाल विवाह रोके गए हैं और 56 मामले दर्ज किए गए हैं।
जिला बाल संरक्षण इकाई की उपायुक्त नीता वडकर ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने के कारण बाल विवाह के मामलों में कमी आई है। स्वास्थ्य विभाग को यह भी कहा गया है कि 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती कराने पर तुरंत जिले को सूचित करें। लडक़ी को किम्स के सखी वन केंद्र में रखा कर काउंसलिंग की जाती है। बाद में मामला दर्ज किया जाता है।
परामर्श आयोजित किया जाएगा
उन्होंने बताया कि बाल विवाह की सूचना मिलते ही जिला बाल संरक्षण इकाई के कर्मचारी, पुलिस, पीडीओ, सीडीपीओ कर्मचारी (आंगनवाड़ी सुपरवाइजर) मौके पर पहुंचते हैं। अभिभावकों को समझाइशी कर विवाह रुकवाकर उन्हें बाल कल्याण समिति के पास ले जाकर उनसे 18 वर्ष की आयु होने तक विवाह नहीं करने का शपथ पत्र लिखवाते हैं। यदि वे विवाहित हैं, तो हम मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई करते हैं। न्यायालय के निर्णय के अनुसार जुर्माना और कारावास की सजा लगाई जाएगी। यदि बच्चे सहमत होते हैं, तो ही उन्हें घर भेजा जाएगा, अन्यथा उन्हें बाल कल्याण समिति केंद्र में कुछ दिनों के लिए आवास प्रदान किया जाएगा और परामर्श आयोजित किया जाएगा।
हेल्पलाइन सहायता
जिला बाल संरक्षण इकाई की ओर से ही 1 सितंबर 2023 से हेल्पलाइन 1098 का संचालन किया जा रहा है। रेलवे स्टेशन और यात्रा के दौरान ट्रेन में मुसीबत में फंसे बच्चों की मदद के लिए धारवाड़ और हुब्बल्ली के रेलवे स्टेशन पर एक हेल्पलाइन है, जो 24 घंटे सेवा प्रदान करती है। जरूरत पडऩे पर उन्हें बाल गृह में रखकर शिक्षा दिलाई जा रही है। अगर बच्चे संकट में हैं तो वे इस नंबर पर कॉल कर सकते हैं।
970 कॉल आ चुकी हैं
जिला बाल संरक्षण इकाई की उपायुक्त नीता वडकर ने बताया कि वर्ष 2023 से अब तक बाल हेल्पलाइन पर कुल 970 कॉल आ चुकी हैं। इसमें बाल विवाह, दुष्कर्म, बाल मजदूरी, अभिभावकों की ओर से छोड़े गए बच्चे, टीसी समस्या, शारीरिक हिंसा, बाल शोषण, आवास सुविधा, पारिवारिक समस्या, एकल अभिभावक और दूसरे राज्यों से भागकर आए बच्चे, माता-पिता की ओर से उपेक्षित बच्चे, प्रताडि़त बच्चे, भीख मांगने वाले बच्चे समेत विभिन्न मुसीबत में फंसे बच्चों ने कॉल किया है। ऐसी स्थिति में अगर बच्चे कॉल करते हैं तो उन्हें बाल गृह में संरक्षण दिया जाएगा। साथ ही उन्हें शिक्षा और आवास की सुविधा भी दी जाएगी।