कर्नाटक के तीन जिलों में बढ़ेंगी सांप, काटने की घटनाएं
हुब्बल्ली. जलवायु परिवर्तन के असर से आने वाले वर्षों में देश के कई हिस्सों में जहरीले सांपों की संख्या और सांप काटने की घटनाओं में तेजी आने की आशंका है। कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर, हावेरी, चित्रदुर्ग सहित गुजरात, राजस्थान, असम और पूर्वोत्तर राज्यों में इसका खतरा और बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि वातावरण में तापमान और नमी बढऩे से वे इलाके भी सांपों के लिए अनुकूल बन जाएंगे, जो अभी तक इनके आवास नहीं माने जाते। नतीजतन, सांपों का प्रसार नए क्षेत्रों तक होगा और उनकी प्रजनन दर भी तेज हो सकती है। इससे ग्रामीण ही नहीं शहरी इलाकों में भी सांप-इंसान टकराव और काटने की घटनाएं बढऩे की संभावना है।
दिब्रु-सैखोवा कंजर्वेशन सोसायटी, असम कृषि विश्वविद्यालय और दक्षिण कोरिया के पुक्योंग विश्वविद्यालय की ओर से किए गए संयुक्त अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि आने वाले वर्षों में भारत के कई राज्यों और जिलों में सांपों की संख्या तथा सांप के काटने की घटनाएं दोगुनी हो सकती हैं।
अध्ययन में क्या है?
-मणिपुर, मेघालय, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में सांपों की संख्या में 100 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है।
-हरियाणा, राजस्थान, असम के अलावा कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर, हावेरी, चित्रदुर्ग जिले तथा गुजरात के द्वारका, जामनगर जिलों में भी सांपों की मौजूदगी और काटने की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
कौन से सांपों की संख्या बढ़ेगी?
अध्ययन के अनुसार ‘बिग 4’ प्रजातियों – कॉमन क्रेट, रसेल वाइपर, इचिस कारिनेटस और इंडियन कोबरा की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है। पहले से ही भारत विश्व में सबसे अधिक सांप के काटने और उससे होने वाली मौतों के मामलों में अग्रणी है। जलवायु असंतुलन ने इस खतरे को और गंभीर बना दिया है।
बढ़ोतरी क्यों?
-जलवायु परिवर्तन से तापमान और आर्द्रता में वृद्धि।
-पहले से अनुपयुक्त क्षेत्र भी सांपों के अनुकूल बन जाएंगे।
-ऐसे क्षेत्रों में सांपों का विस्तार और प्रजनन की संभावना।
-परिणामस्वरूप, सांप के काटने की घटनाएं और मौतों का खतरा बढ़ेगा।
