तीन साल से शिवरात्रि-मखे मेलों में परंपरागत पूजा बंद
जलाशय का पानी बढ़ा बना बाधा
स्थानीयों का सरकार से हस्तक्षेप की मांग
उप्पिनंगडी (दक्षिण कन्नड़). नेत्रावती और कुमारधारा नदी संगम पर स्थित पवित्र उद्भव लिंग की परंपरागत पूजा तीन वर्षों से रुकी हुई है। शिवरात्रि और मखे जत्राओं में होने वाली विशेष पूजा बिलियूर बांध में जलस्तर बढऩे से बाधित हो रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि बांध में 4 मीटर तक पानी रोके जाने से बैकवॉटर उप्पिनंगडी के कुटेलु तक भर जाता है। इसके कारण नदी के मध्य स्थित उद्भव लिंग पूरी तरह जलमग्न हो जाता है और पूजा-पाठ, रीति-रिवाज बंद हो गए हैं।
धार्मिक भावना और जल संचयन दोनों को संतुलित करने के लिए ग्रामीणों ने सुझाव दिया है कि मार्च मध्य तक गेट को केवल 2 मीटर तक ही रखा जाए, जिससे शिवरात्रि और तीन मखे जत्राओं (मेलों) के दौरान पूजा संभव हो सके। इसके बाद गेट को फिर से ऊंचा करके पूरी क्षमता में पानी रोका जा सकता है।
स्थानीयों का कहना है कि मेंगलूरु शहर के लिए जलसंचय उपयोगी है, लेकिन इसके चलते जत्राओं का पारंपरिक सौंदर्य फीका पड़ रहा है।
समितियां भी सक्रिय
श्री सहस्रलिंगेश्वर-महाकाली मंदिर व्यवस्थापन समिति के अध्यक्ष के. राधाकृष्ण नायक ने कहा कि जत्रा अवधि में गेट कम रखने की मांग को लेकर वे सरकार का ध्यान आकर्षित करेंगे। क्षेत्र पुरोहित पी. नरसिंह भट्ट ने जोर देकर कहा कि शिवरात्रि की उद्भव लिंग पूजा सीमे की वृद्धि के लिए अनिवार्य है, यह बाधित होना अनुचित है।
पूर्व ग्राम पंचायत अध्यक्ष रामचंद्र मणियाणी ने भावुक होकर कहा कि पहले लोग मीलों पैदल चलकर पूजा करते थे, परन्तु आज सुविधाएं होते हुए भी पूजा न होना अत्यंत दु:खद है।
स्थानीयों ने सरकार से त्वरित समाधान की मांग की है ताकि परंपरा अपनी पुरानी भव्यता के साथ पुन: जीवित हो सके।

