बीदर. जिलाधिकारी शिल्पा शर्मा ने कहा कि बीदर जिले के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर चेक आउट करने के बाद 14 बच्चों सहित 19 भीख मांगनेवालों को बचाया गया है।
जिलाधिकारी ने कहा कि दो बच्चों को स्वास्थ्य जांच के लिए जिला स्वास्थ्य केंद्र बीदर (बीआरईईएमएस) में भर्ती कराया गया है। 12 बच्चों और 3 महिलाओं को जिला महिला एवं बाल कल्याण विभाग के अंतर्गत महिला सुविधा केंद्र में और दो पुरुषों को बीदर नगर निगम के अंतर्गत पुनर्वास केंद्र में रखा गया है।
उन्होंने कहा कि भीख मांगना एक सामाजिक समस्या है। असली और नकली भिखारियों में अंतर करना विशेष रूप से कठिन है। उन्हें भीख मांगने से रोकना, संगठित भिक्षावृत्ति नेटवर्क को तोडऩा और पुनर्वास प्रदान करना मुख्य चुनौतियां हैं। जिले में भीख मांगना दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है, इसलिए संबंधित अधिकारियों की ओर से प्राथमिक स्तर पर इसे रोकने के लिए कर्नाटक भिक्षावृत्ति निषेध अधिनियम, 1975 के तहत सख्त कार्रवाई करने के लिए सूचित किया गया है।
जिलाधिकारी ने कहा कि भिखारियों पर नियंत्रण के लिए केवल कानूनी कार्रवाई ही पर्याप्त नहीं है। मानवता, पुनर्वास और समान अधिकार प्रदान करने के लिए व्यापक कार्रवाई आवश्यक है। सरकार, समाज, संघ, संस्थाएं और नागरिक मिलकर काम करें तो स्थायी समाधान संभव है।
उन्होंने कहा कि धनवान भिखारियों और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अनुसार, यदि बच्चों से भीख मंगवाई जाती है, तो 3 साल की जेल, एक लाख रुपए का जुर्माना और अपराधियों पर कड़ी सजा का प्रावधान है। यदि कोई सार्वजनिक स्थान पर भीख मांगता हुआ पाया जाता है, तो उसे तुरंत 1098 पर कॉल करके जानकारी देनी चाहिए। जिले की अन्य संस्थाओं को भी इस कार्य के लिए आगे आना चाहिए।