विजयपुर. अम्बेडकर के पोते और भारतीय बौद्ध महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजरत्न अम्बेडकर ने कहा कि हमें संविधान निर्माता डॉ. बीआर अम्बेडकर को भगवान नहीं बनाना चाहिए, हमें उनके विचारों की पूजा करनी चाहिए, उनका अनुसरण करना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए।
शहर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए राजरत्न अम्बेडकर ने चिंता व्यक्त की कि अम्बेडकर जयंती को उनका चित्र लगाकर, डीजे बजाकर और नाचकर नहीं मनाना चाहिए। कुछ व्यक्तियों ने अम्बेडकर जयंती पर डीजे बजाने के लिए दान देकर उन विचारों को मान्यता देने की साजिश की है जो उनकी इच्छा के विरुद्ध हैं।
केवल दलितों के लिए मतदान
उन्होंने कहा कि केवल शिक्षक और स्नातक ही शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान करने के पात्र हैं, अन्य को वहां मतदान करने की अनुमति नहीं है। इसी प्रकार, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में केवल दलितों को ही वोट देने की अनुमति देनी चाहिए। इस तरह की प्रणाली को लागू करने के लिए एक मजबूत जन आंदोलन की जरूरत है। बिहार के बोधगया, महाबोधि महाविहार का प्रशासन पूरी तरह से बौद्धों को सौंपना चाहिए। किसी अन्य को वहां जाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
राजरत्न अम्बेडकर ने कहा कि हाल के दिनों में बोधगया में बुद्ध की इच्छा के विपरीत अनुष्ठान हो रहे हैं। इसके चलते 1949 के बीटी. (बुद्ध गया ट्रस्ट अधिनियम) में संशोधन करना चाहिए। इस दिशा में हम केंद्र और बिहार सरकार से अपील करते रहे हैं परन्तु सरकारें हमारी पुकार पर ध्यान नहीं दे रही हैं। हम संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील करेंगे।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक में किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाने की बजाय दलितों का उत्थान करने वाले व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनना चाहिए। एक दलित के राष्ट्रपति बनने के बावजूद दलितों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है, बल्कि डॉ. बीआर अम्बेडकर की इच्छा के आधार पर शासन करता है और उनके विचारों का सम्मान करता है, उसे मुख्यमंत्री बनना चाहिए। जाति के आधार पर दलितों का मुख्यमंत्री बनने का कोई मतलब नहीं है।
राजरत्न ने कहा कि अगर ब्राह्मण दलितों का उद्धार करने सामने आता है, तो हमें इसे स्वीकार करना चाहिए। हम ब्राह्मण विरोधी नहीं हैं, परन्तु हम ब्राह्मणवाद के खिलाफ हैं, जो एक पदानुक्रमिक व्यवस्था को बढ़ावा देता है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के पूर्व सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने संविधान को बदलने की बात शुरू की थी। संविधान को बदलना चिंताजनक है। एक तरफ निजीकरण के जरिए आरक्षण को दबाने का काम किया जा रहा है, दूसरी तरफ संविधान की आकांक्षाओं को कुचलने की कोशिश की जा रही है। हमें इसके खिलाफ जोरदार आवाज उठाने की जरूरत है।