बल्लारी. सिरुगुप्पा तालुक के हजारों किसानों की जीवन रेखा वेदावती-हगरी नदी गर्मियों की शुरुआत में ही पूरी तरह सूख गई है। यहां के पानी पर निर्भर किसान और जीव-जंतु कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
तालुक के तालूर, उलूर, उत्तनूर, माटसुगूर, कुरीगनूर, बुदुगुप्पा, मैलापुर, मैलापुर कैंप, के. बेलगल्लु, मुदेनूर, हीरेहालू, के. सुगूर, रारावी, कुरुवल्ली, नागलापुर, कुडुदरहालु, चिक्कबल्लारी, 25-हलेकोटे, बलकुंदी, उप्पारहोसल्ली, पोप्पनहालु, अरलिगनूर, शालिगनूर, करचिगनूर के किसान और पशुपालक वेदावती-हगरी नदियों के पानी पर निर्भर हैं।
हाथ आया निवाला भी मुंह तक नहीं पहुंच पाएगा
गांव वालों का कहना है कि हमने नदी के पानी पर निर्भर रहते हुए पिछले दिसंबर में धान की खेती की थी। फसल अब बाली निकलने और निकलने की अवस्था में है। पानी अब आवश्यक है। इस समय नदी सूख गई है। खेत सूखे हैं। अगर तीन-चार दिन तक चावल तक पानी नहीं पहुंचेगा तो हाथ आया निवाला भी मुंह तक नहीं पहुंच पाएगा।
अधिकारियों और विधायकों को तुरंत जागे
किसान सूखी नदी में 20 से 30 फुट गहरा गड्ढा खोदकर उसमें पाइप लगाने और पानी निकालने की कोशिश कर रहे हैं परन्तु गड्ढा खोदने के बाद भी पानी नहीं निकल रहा है। हमने अब तक प्रति एकड़ 40,000 रुपए खर्च किए हैं। यदि तुंगभद्रा बांध के नीचे स्तर के करनूल नहर के माध्यम से नदी में पानी छोडऩे के लिए कुछ किया जाए तो फसलें, लोग और जीवन बच जाएंगे। अधिकारियों और विधायकों को तुरंत जागना चाहिए।
–जे. सिद्धरामनगौड़ा, अध्यक्ष, राज्य किसान संघ, सिरुगुप्पा तालुक