करावली में फर्जी दस्तावेज आपूर्ति करने वाली फैक्ट्री?करावली में फर्जी दस्तावेज आपूर्ति करने वाली फैक्ट्री?

पुलिस के लिए बनी सबसे बड़ी चुनौती
उडुपी. फर्जी दस्तावेजों को बनवाकर विदेशों से भारत आने वालों का एक बड़ा नेटवर्क है। यहां अवैध अप्रवासी काम करते हैं। उनके लिए स्थानीय स्तर पर रहने की व्यवस्था करने वाले भी हैं। अब इस नेटवर्क को भेदना पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।
जिले में बांग्ला अवैध अप्रवासियों के पाए जाने के चलते उन्हें दस्तावेज कैसे मिलतेे हैं? कौन बनवाकर देते हैं इसका पता लगाने के लिए पुलिस पीछे लगी हुई है। करावली में फर्जी दस्तावेज मुहैया कराने वाले एजेंटों की फैक्ट्री होने का संदेह है।
ऐसा संदेह है कि वर्तमान में पकड़े गए अवैध अप्रवासियों में से एक को उडुपी में नकली पासपोर्ट दिया गया था। इससे फर्जी पासपोर्ट, आधार कार्ड नेटवर्क की संभावना पर सवाल खड़े हो गए हैं।
हाल के वर्षों में देश के बाहर से कई लोग निर्माण श्रमिक, मजदूर, मछुआरे और मछली श्रमिक के रूप में जिले में आ रहे हैं। फर्जी दस्तावेजों के जरिए प्रवेश करने वालों में बांग्लादेशी और श्रीलंकाई अधिक हैं। इन सभी के अलग-अलग रोजगार में जुटने के कारण न तो स्थानीय लोगों और न ही पुलिस को तुरंत संदेह नहीं होता है। कम वेतन पर अलग-अलग नौकरियां करना और अपना रोजगार स्थान बदलते रहना भी पुलिसकर्मियों के लिए चुनौती बना हुआ है।
इन अवैध अप्रवासियों की प्रवृत्ति बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल और असम के रास्ते अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने, फर्जी दस्तावेज बनाने और समूहों में विभिन्न राज्यों में जाने की है। ऐसी भी जानकारी है कि श्रीलंकाई लोग तमिलनाडु के रास्ते भारत आते हैं, मछली पकडऩे वाली नौकाओं में काम करते हैं और फिर विभिन्न बंदरगाहों पर जाते हैं।

फर्जी दस्तावेजों के जरिए आसानी से भारत में प्रवेश
कुछ साल पहले, नाइजीरिया में जन्मे एक छात्र को हिरासत में लिया गया था, जिसका वीजा कुछ वर्ष पहले ही समाप्त हो गया था। कहा जाता है कि शिक्षा और काम के लिए आने वाले कुछ लोग वीजा खत्म होने के बाद भी यहीं रुकते हैं, परन्तु बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जो फर्जी दस्तावेजों के जरिए आसानी से भारत में प्रवेश कर जाते हैं।

पुलिस को भी कोई जानकारी नहीं
पासपोर्ट बनवाते समय पुलिस सभी रिकॉर्ड, घर का दौरा, कितने साल का निवास आदि जानकारियों को एकत्रित करती है परन्तु पासपोर्ट मिलने के बाद उस व्यक्ति की स्थिति क्या है? वह भारत में है या विदेश चला गया है, इसकी जानकारी पुलिस के पास भी नहीं है। जिले में कितने विदेशी हैं इसकी सटीक जानकारी पुलिस के पास नहीं है।
यहां के शिक्षण संस्थानों में पढऩे वाले विदेशी छात्रों की तो जानकारी मात्र पुलिस के पास उपलब्ध है परन्तु उन लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जिन्होंने विजिटिंग वीजा प्राप्त कर लिया है और वीजा समाप्त होने के बावजूद विभिन्न नौकरियों में कार्यरत हैं।

फर्जी पासपोर्ट
एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि फर्जी पासपोर्ट का इस्तेमाल कर उग्रवादी और गैरकानूनी गतिविधियां करने की भी संभावना रहती है। फिलहाल मलपे में जो लोग पाए गए हैं वे फर्जी पासपोर्ट के साथ आए हैं। ऐसे मामले तभी सामने आ सकते हैं जब हवाईअड्डों पर इस संबंध में कड़ी जांच हो। ऐसे फर्जी पासपोर्ट वालों के पास मौजूद सभी दस्तावेज फर्जी होते हैं।

एजेंटों का पता लगाना भी चुनौती
राज्य के बाहर से श्रमिकों को लाने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने का एक बड़ा नेटवर्क है। इसके पर्यवेक्षक और एजेंट कर्नाटक से ही हैं। उस नेटवर्क के माध्यम से विदेशों से अवैध अप्रवासी आ रहे हैं। निर्माण कार्य, श्रमिक कार्य, मछली पकडऩे आदि की मांग अधिक है और कोई भी लंबे समय तक एक नौकरी में नहीं रहता है। एक बार स्थानीयकृत हो जाने पर वे एजेंट से अलग हो जाते हैं। पुलिस के लिए इन एजेंटों को ढूंढना चुनौती बनी हुई है।

अवैध आप्रवासन के लिए सजा क्या है?
वकील मट्टारु रत्नाकर हेगड़े का कहना है कि बिना वीजा के आने, वीजा खत्म होने के बाद भी अवैध रूप से रहने या फर्जी दस्तावेजों के साथ यहां आने और पुलिस की ओर से पकड़े जाने पर आरोपियों की जांच की जाती है। ऐसे मामले में जमानत नहीं मिलती। अदालतें न्यूनतम 7 वर्ष से लेकर अधिकतम आजीवन कारावास तक की सजा दे सकती हैं। जिन लोगों ने अवैध अप्रवासियों को आश्रय दिया है और जिन्होंने अवैध अप्रवासियों के लिए फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद की है, उन पर मुकदमा चलाया जाएगा।

दस हजार रुपए देने परर सभी दस्तावेज उपलब्ध!
बताया जा रहा है कि दस हजार रुपए देने पर नकली दस्तावेज स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हैं। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में ऐसी चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। लोग पश्चिम बंगाल के रास्ते अवैध रूप से भारत में प्रवेश करते हैं वे रिश्वत देकर नकली दस्तावेज प्राप्त करते हैं। अब पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपियों ने पूछताछ में ये चौंकाने वाली जानकारी दी है। उन्होंने पुलिस को बयान दिया कि यहां 10 हजार रुपए देने पर आधार कार्ड बनवाकर देते हैं। उन्होंने पैसे देकर आधार कार्ड लिया और रोजगार के लिए यहां आए।

गहनता से जांच की जा रही है
गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। सबके पास फर्जी आधार कार्ड है। उनके साथ मौजूद एक अन्य मोहम्मद माणिक को फर्जी पासपोर्ट और आधार कार्ड का उपयोग करके दुबई जाने की कोशिश करते हुए हवाई अड्डे की जांच में पकड़ा गया था। बाकी दो की तलाश जारी है। उन्होंने सीमा कैसे पार की, स्थानीय स्तर पर किसने उनकी मदद की? फर्जी आधार कार्ड कैसे प्राप्त हुआ इसकी गहनता से जांच की जा रही है। कानून के मुताबिक जांच के बाद आरोपियों को अदालत के सामने पेश किया जाएगा।

डॉ. के अरुण, जिला पुलिस अधीक्षक, उडुपी

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