एमएसपी के प्रति किसानों की उदासीनता

-उपज बेचने में हिचकिचाहट, खरीद केंद्रों पर देरी मुख्य कारण!
-21,44,109 मीट्रिक टन उपज की खरीद के लिए केंद्र की मंजूरी
-केवल 1,11,928 मीट्रिक टन की खरीदी
-केंद्र ने 96 हजार मीट्रिक टन चना और 3,168 मीट्रिक टन कुसुम खरीदने की दी मंजूरी
-अभी तक किसी ने इनकी खरीद नहीं की

हुब्बल्ली. सरकारें कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने के लिए खरीद केंद्र खोल रही हैं परन्तु यह बात सामने आई है कि राज्य के किसान समर्थन मूल्य योजना के तहत अपनी उपज बेचने में हिचकिचा रहे हैं। इसके चलते राज्य सरकार 2024-25 में केंद्र सरकार की ओर से अनुमोदित 5-7 प्रतिशत उपज की खरीद नहीं कर पाई है।

केंद्र सरकार ने गेहूं, धान, ज्वार, बाजरा, चना, तुअर, सोयाबीन और कपास समेत 23 कृषि उत्पादों के लिए कीमतें तय की हैं। इसी तरह वर्ष 2024-25 के लिए अनाज और दालों सहित 11 उत्पादों की खरीद के लिए केंद्र खोले हैं। इनमें से 5 फसलों की खरीद प्रक्रिया पूरी हो चुकी है तथा 6 फसलों की खरीद हो रही है। यहां केंद्र सरकार ने 21,44,109 मीट्रिक टन उपज खरीदने की मंजूरी दी है, परन्तु अभी तक केवल 1,11,928 मीट्रिक टन उपज ही खरीदी जा सकी है।

चना और कुसुम के प्रति झिझक

केंद्र ने राज्य के 2.63 लाख मीट्रिक टन सूरजमुखी, मूंगफली, मूंग, उड़द और सोयाबीन फसलों की खरीद को मंजूरी दी थी। खरीद प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और केवल 50.08 हजार मीट्रिक टन फसल ही खरीदी गई है। तुअर उत्पाद खरीदने की अवधि एक मई तक बढ़ा दी गई है और अब तक 3,551 किसानों से तुअर, 29 किसानों से धान तथा 169 किसानों से ज्वार खरीदा गया है। चना और कुसुम की फसल बेचने के लिए किसान आगे नहीं आ रहे हैं। इसके लिए कई कारण बताए जा रहे हैं।

किसान नेताओं का आरोप है कि गन्ने के लिए पहले से ही वैधानिक समर्थन मूल्य (एफआरपी) मौजूद है। इसी तर्ज पर कृषि और बागवानी फसलों के लिए न्यूनतम खरीद मूल्य घोषित करने की मांग को लेकर कर्नाटक कृषि मूल्य आयोग ने 2018 में एक रिपोर्ट सौंपी थी परन्तु यह लागू नहीं हुई। क्रय केन्द्र शुरू करने में खामियों, तकनीकी बाधाओं और किसानों में जागरूकता की कमी के कारण एमएसपी का लाभ पात्र किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है।

धान, बाजरा और ज्वार के केंद्र खाली

कृषि उपज मंडी के अधिकारियों का कहना है कि राज्य में धान, बाजरा, ज्वार, तुअर, चना और कुसुम फसलों की खरीद की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि सरकार ने 7.45 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने की मंजूरी दी है, परन्तु केवल 81 मीट्रिक टन ही खरीदा जा सका है। बाजरा 4.30 लाख मीट्रिक टन की जगह 11 हजार मीट्रिक टन तथा ज्वार 1 लाख मीट्रिक टन की जगह 1,391 मीट्रिक टन खरीदा गया है। केंद्र ने 96 हजार मीट्रिक टन चना और 3168 मीट्रिक टन कुसुम खरीदने की मंजूरी तो दे दी है, परन्तु अभी तक किसी ने इनकी खरीद के लिए नहीं दी है।

सरकार के निर्देशानुसार खरीद केंद्र खोले जा रहा हैं

बाजार में दाम अधिक होने से किसान खरीद केंद्र पर नहीं आ रहे हैं। अब यही स्थिति चना और कुसुम की फसलों के लिए भी है। मानसून के दौरान उडद की फसल के साथ भी यही स्थिति थी। सरकार के निर्देशानुसार खरीद केंद्र खोले जा रहा हैं।
विरुपाक्ष लमाणी, उप निदेशक, एपीएमसी, धारवाड़

एमएसपी में क्या बाधाएं हैं?

– ऑनलाइन फसल सर्वेक्षण अनिवार्य है, जिससे पंजीकृत नहीं होने वाले किसानों को एमएसपी नहीं मिल रही है।
-अधिकांश किसानों की ओर से अपनी उपज खुले बाजार में बेच देने के बाद एमएसपी खरीद केन्द्रों को खोलना।
– यह विनियमन अधिकतम 5 एकड़ में फसलों की बिक्री के लिए ही है।
-एमएसपी केंद्र खोलने के बारे में किसानों को आश्वस्त करके उनमें जागरूकता पैदा करने में विफलता।

कौन सी फसल, कितनी खरीदी? (मीट्रिक टन)

फसल — स्वीकृति — वास्तविक खरीद
सूरजमुखी — 7,280 — 3,809
मूंगफली — 57,703 — 2,053
मूंग — 38,320 — 26,755
सोयाबीन — 1,11,470 — 18,282

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