गांवों में खुली 500 दुकानें
करोड़ों का कारोबार
दावणगेरे. जिले में खाद, बीज और कीटनाशकों की बिक्री का विकेंद्रीकरण हो गया है और अब किसानों को शहरों और कस्बों की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी, उनके गांवों में ही खाद बेचने वाली दुकानें खुल गई हैं, जिससे किसानों को हर चीज उनके दरवाजे पर उपलब्ध हो रही है।
मानसून की शुरुआत और भारी बारिश के साथ ही बीज और उर्वरकों की मांग शुरू हो गई है। हाल के वर्षों में किसानों ने खाद के लिए शहरों और कस्बों की यात्रा करना बंद कर दिया है। जब से गांवों में खाद की बिक्री के लिए अधिक लाइसेंस जारी किए गए हैं, तब से हर जगह दुकानें खुल गई हैं।
किसानों को दे रहे हैं जानकारी
इसके साथ ही जब से बेरोजगार युवाओं को काम देने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है और उन्हें उर्वरक बिक्री लाइसेंस दिए गए हैं, तब से उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में दुकानें खोली हैं और खाद, बीज और कीटनाशक बेच रहे हैं, जिससे किसानों को हर चीज उनके दरवाजे पर उपलब्ध हो रही है। इसके साथ ही वे किसानों के खेतों में जाकर कृषि अधिकारियों से मदद ले रहे हैं और किसानों को जानकारी दे रहे हैं।
500 लाइसेंस
पिछले कुछ सालों से कृषि विभाग ने जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में खाद बिक्री की दुकानें खोलने के लिए लाइसेंस दिए हैं। साथ ही विभाग ने देसी योजना के तहत युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें लाइसेंस दिए हैं, इसलिए इस साल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 500 से ज्यादा दुकानें खुल गई हैं, जिनमें खाद, बीज, कीटनाशक समेत कुछ कृषि उपकरण बेचे जा रहे हैं।
बेरोजगार युवाओं को मिला रोजगार
ट्रेन से आने वाली खाद यहां की गूड्स कॉलोनी से सीधे ग्रामीण क्षेत्रों की दुकानों पर भेजी जाएगी और कृषि विभाग ने इसकी पूरी व्यवस्था कर ली है। गांव के विक्रेता वहां किसानों को जरूरी खाद, बीज, कीटनाशक उपलब्ध करा रहे हैं। गांव की कुछ दुकानें हर साल एक करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार कर रही हैं और अच्छा खासा मुनाफा कमा रही हैं, जिससे बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है।
900 लोगों को प्रशिक्षण
जिले में एसएसएलसी पास करने वाले 900 बेरोजगार युवाओं को शहर के काडज्जी कृषि केंद्र में देसी योजना के तहत एक साल तक हर रविवार को प्रशिक्षण दिया गया है। इन्हें हैदराबाद के प्रबंधन संस्थान और बेंगलूरु के कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण देकर इन्हें कृषि डिप्लोमा प्रमाण पत्र के साथ दुकान खोलने का लाइसेंस भी दिया गया है। प्रशिक्षित युवा गांवों में दुकानें खोलकर खाद बेच रहे हैं।
गांव में खाद बिक्री की दुकान खोली
कृषि विभाग से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मैंने दो साल पहले अपने गांव में खाद बिक्री की दुकान खोली। किसानों को हर चीज घर बैठे मिल रही है। पिछले साल मैंने 1.50 करोड़ रुपए का कारोबार किया और इस साल अब तक 35 लाख का कारोबार हो चुका है।
–अमृत, बैरसिध्देश्वर एग्रो एजेंसी, मेदुगोंडनहल्ली
1.25 करोड़ रुपए का कारोबार किया
प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मैंने खाद, बीज और कीटनाशक बेचने की दुकान खोली। यह गांवों में उपलब्ध होने से यह किसानों के लिए फायदेमंद है। पिछले साल मैंने 1.25 करोड़ रुपए का कारोबार किया और उदारी की समस्या भी रहती है।
–शंभुलिंगप्पा, शंभुलिंगेश्वर ट्रेडर्स, आसगोडु
किसानों को मिला लाभ
ग्रामीण क्षेत्रों को अधिक लाइसेंस दिए गए हैं। इसके साथ ही बेरोजगार युवाओं को भी प्रशिक्षण के बाद लाइसेंस दिए गए हैं, जिससे खाद की बिक्री का विकेंद्रीकरण हुआ है, जिसका लाभ किसानों को मिला है।
–श्रीनिवास चिंताल, संयुक्त कृषि निदेशक
मानसून में खाद की मांग
यूरिया 54,162
डीएपी 14,672
एनपीके 72,616
एमओपी 4,586
एसएसपी 513
कुल 1,46,549