सख्त सैनेटाइजेशन, फूट-डिप्स और टीकाकरण अभियान तेज
गदग. बेलगावी जिले के भूतरामनहट्टी मिनी मृगालय (चिडिय़ाघर) में हाल ही में 30 से अधिक काले हिरणों (कृष्णमृगों) की मौत ने वन विभाग को सतर्क कर दिया है। प्रयोगशाला रिपोर्ट में ‘यकृत रोग’ यानी हेमराहेजिक सेप्टीसीमिया (एचएस) की पुष्टि के बाद गदग के बिंंकदकट्टी मृगालय में एहतियाती कदम युद्धस्तर पर शुरू कर दिए गए हैं।
मृगालय परिसर के हर मार्ग की सैनेटाइजेशन से सफाई की गई है। प्रवेश और निकास द्वारों पर ‘फूट-डिप्स’ की व्यवस्था की गई है, जिसके बाद ही पर्यटकों को आगे बढऩे की अनुमति है। प्रत्येक बाड़े के लिए एक-एक प्राणीपालक को विशेष निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। किसी भी पशु में व्यवहार या स्वास्थ्य में बदलाव दिखते ही अधिकारियों को तुरंत सूचना दी जा रही है।
मृगालय की पशुचिकित्सक डॉ. पवित्रा ने कहा कि पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पीने के पानी में इलेक्ट्रॉल मिलाया जा रहा है तथा आहार में इम्यूनो बूस्टर सिरप और मिनरल मिक्सचर शामिल किया गया है। एच.एस. संक्रमण में जानवरों का प्रतिरोधक बल तेजी से घटता है, इसलिए नियमित सप्लीमेंट अनिवार्य हैं।
संक्रमण रोकने के लिए प्राणीपालकों के घरों में मौजूद गाय-बैल और बकरियों को भी एच.एस. रोकथाम टीका लगाने की योजना बनाई गई है। डीसीएफ ने इस संबंध में पशुपालन विभाग को पत्र भेजा है।
आरएफओ स्नेहा कोप्पल ने कहा कि 25 नवंबर को स्वास्थ्य सलाहकार समिति की बैठक बुलाई गई है, जिसमें विशेषज्ञ आगे की कार्ययोजना तय करेंगे। सभी वैज्ञानिक उपाय लागू किए गए हैं। फिलहाल मृगालय के प्राणी सुरक्षित और स्वस्थ हैं।

