कनकवाड़ गांव में समस्याओं की भरमार
असहनीय पीड़ा झेल रहे हैं ग्रामीण
हुब्बल्ली. गांव में प्रवेश करते ही बाहरी इलाके में खुले शौचालयों की गंध, फ्लोराइड युक्त पानी ही पीने वाले ग्रामीण और बिना सीवर के बदबूदार आवासीय इलाकों में दैनिक जीवन गुजार रहे ग्रामीणों की पीड़ा वास्तव में अवर्णनीय है।

गदग जिला शिरहट्टी तालुक के हेब्बाल ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले कनकवाड़ गांव में दो सदस्य हैं और लगभग 1,000 से 1,500 आबादी है। चुनाव और कार्यक्रमों में गांव की समस्याएं सुनने और सिर्फ आश्वासन देने वाले जनप्रतिनिधियों के आश्वासन से लोग नाराज हैं और लगातार कोस रहे हैं।

स्वच्छ जल संयंत्र की नहीं की मरम्मत

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में फ्लोराइड युक्त पानी की आपूर्ति को रोकने के लिए स्वच्छ पेयजल इकाई स्थापित की गई थी। शुरुआती कुछ दिनों में ही खराब हुई इकाई की मरम्मत के लिए किसी भी अधिकारी या जन प्रतिनिधि ने जहमत नहीं उठाई। गांव के कुछ लोग हेब्बाल जा कर साफ पानी लाकर पी रहे हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि गांव के अधिकांश लोग गांव में आपूर्ति होने वाला फ्लोराइडयुक्त पानी पी रहे हैं। पानी एकत्र करने के कुछ ही घंटों के भीतर ऊपर फ्लोराइड की परत पाई जाती है। इस पानी के नियमित सेवन से अधिकांश लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। युवाओं में घुटने का दर्द, कूल्हे का दर्द और दांतों की समस्या देखी जा रही है, जिससे ग्रामीण चिंतित हैं परन्तु ग्रामीणों को इस पानी को मजबूरी में उपयोग करने की नौबत आ गई है।

स्कूल को अतिरिक्त कमरे की जरूरत

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में स्थित पहली से पांचवीं कक्षा तक की प्राथमिक स्कूल के लिए कमरों की कमी है। इस स्कूल में 5वीं कक्षा तक के लिए सिर्फ 4 कमरे हैं, इसी में ही रसोई और कार्यालय चलता है। बड़ी संख्या में बच्चों वाले मौजूदा स्कूल के लिए अतिरिक्त कमरों और स्कूल मैदान की तत्काल आवश्यकता है। संबंधित विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

लोगों को सता रहा बीमारियों का डर
ग्रामीणों ने बताया कि गांव के कुछ आवासीय इलाकों में सीसी सडक़ का निर्माण नहीं हुआ है। लोग गंदगी भरी सडक़ों पर सफर कर रहे हैं। गांव की पुरानी नालियों में पानी सुचारू रूप से नहीं बह कर बीच में ही रुक जाता है। अवैज्ञानिक रूप से निर्मित छोटी नालियों के पानी को गांव के बाहरी इलाके से जोड़ा गया है। बाहरी इलाकों में बड़े और उचित नालों के निर्माण की कमी के कारण सारा कचरा एक ही स्थान पर एकत्र होने से यह मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल बन गया है। इससे गांव के लोगों को संक्रामक बीमारियों का डर सता रहा है।

शौचालयों की कमी

ग्रामीणों ने बताया कि सरकार आज स्वच्छ भारत अभियान और खुले में शौच मुक्त ग्राम के निर्माण के लिए ढेर सारा अनुदान जारी कर रही है परन्तु इस गांव में आज भी खुले में ही शौचालय का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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