धारवाड़ जिले में हरित अभियान : 80 हजार पौधे लगाए गएधारवाड़ वन विभाग की नर्सरी में स्थित पौधे।

जिले में हरित कर्नाटक योजना क्रियान्वयन को वन विभाग ने दी प्राथमिकता

हुब्बल्ली. धारवाड़ जिले को “वनसिरी” कहा जाता है और इसे पश्चिमी घाट का वन क्षेत्र भी माना जाता है। यहां बारिश भरपूर होती है और लगातार बारिश से हरियाली बढ़ती है परन्तु वर्षों से यहां के जंगलों का दायरा घटता जा रहा है।

धारवाड़ जिले के हुब्बल्ली, धारवाड़, कलघटगी, अन्निगेरी और अलनावर तालुकों में कुछ हद तक जंगल हैं, परन्तु कुंदगोल और नवलगुंद तालुकों में जंगल नाममात्र भी नहीं है।

राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार जिले के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 33 फीसदी हिस्सा जंगल या वृक्षों से आच्छादित होना चाहिए, जबकि धारवाड़ जिले में यह केवल 10 फीसदी है। इसके चलते वन मंत्री के निर्देश पर जिले में सडक़ किनारे और खाली पड़ी जगहों पर वृक्षारोपण का काम शुरू किया है।

80 हजार पौधे लगाए

धारवाड़ क्षेत्रीय वन विभाग के उप-संरक्षण अधिकारी विवेक टी. ने बताया कि वन विभाग की ओर से मंत्री के आदेशानुसार हुब्बल्ली शहर-ग्रामीण, अन्निगेरी, नवलगुंद, धारवाड़, अलनावर, कुंदगोल और कलघटगी में 245 किमी क्षेत्र में तीन महीने में नीम, होंगे, जामुन, पीपल, बरगद, आंवला जैसे छायादार 80 हजार पौधे लगाए गए। यह ‘हरित कर्नाटक’ योजना के अंतर्गत किया गया है।

खेती योग्य जमीन और खेत की मेड़ों पर किसानों व जनता को चंदन, इमली, आम, आंवला, जामुन, बांस, सहजन, करीपत्ता, बादाम, नीम आदि पौधे सब्सिडी दर पर उपलब्ध कराए गए हैं।

हुब्बल्ली क्षेत्र में 60 हजार पौधे

हुब्बल्ली क्षेत्रीय वन अधिकारी आर.एस. उप्पार ने बताया कि बरसात के मौसम में अन्निगेरी तालुक में 56 किमी तक सडक़ किनारे वृक्षारोपण किया गया है परन्तु हुब्बल्ली क्षेत्र (शहर, ग्रामीण, नवलगुंद, अन्निगेरी, कुंदगोल) में पिछले तीन महीनों में 60 हजार पौधे लगाए गए हैं।

धारवाड़, कलघटगी और अलनावर तालुक में भी 20 हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं। इस प्रकार जिले में इस वर्ष कुल 80 हजार पौधे लगाए गए हैं।

वन विभाग का लक्ष्य 2026 तक और 63 हजार पौधे किसानों व जनता में सब्सिडी पर वितरित करने का है।

जनता की शिकायत और सुझाव

जनता का आरोप है कि विभाग केवल रिकॉर्ड में पौधे लगाने का दावा करता है, परन्तु रखरखाव के अभाव में अधिकतर पौधे नष्ट हो जाते हैं। अगर लगाए गए पौधे सचमुच पेड़ बने होते, तो हरियाली काफी बढ़ चुकी होती।

पर्यावरण प्रेमी रमेश ने कहा कि पेड़ न बनने से हरियाली का अनुपात जस का तस बना हुआ है।

जनता का भी सहयोग जरूरी

हमारी ओर से लगाए गए पौधों में लगभग 70 फीसदी पेड़ बन जाते हैं परन्तु उनकी देखभाल में जनता का भी सहयोग जरूरी है। बाड़ लगाने के बावजूद चरवाहे और लोग उसे नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है।
विवेक टी., उप-संरक्षण अधिकारी, क्षेत्रीय वन विभाग, धारवाड़

सार्वजनिक पौधा वितरण (15 मई से)

तालुक — किसानों को वितरण — हरित कर्नाटक — कुल
धारवाड़ — 18,000 — 800 — 18,800
अलनावर — 1,0167 — 200 — 10,367
हुब्बल्ली — 6,225 — 250 — 6,475
कुंदगोल — 6,225 — 250 — 6,475
कलघटगी — 24,900 — 1,000 — 25,900
नवलगुंद — 6,225 — 250 — 6,475
अन्निगेरी — 6,225 — 250 — 6,475
कुल — 77,967 — 3,000 — 80,967
(सूचना : वन विभाग, धारवाड़ जिला प्रादेशिक विभाग)

अरण्येतर क्षेत्रों में हरितीकरण

तालुक — सडक़ किनारे वृक्षारोपण — शहरी हरियाली
धारवाड़ — 5,940 — 990
अलनावर — 5,222 — 0
हुब्बल्ली — 34,320 — 0
कुंदगोल — 3,960 — 0
कलघटगी — 0 — 990
नवलगुंद — 6,930 — 0
अन्निगेरी — 22,770 — 0
कुल — 79,143 — 1,980

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