रेणुका देवी मेला महोत्सव 5 मार्च से शुरू होगा
लाखों श्रध्दालुओं के भाग लेने की उम्मीद
शिवमोग्गा. मलेनाडु के शक्तिपीठ चंद्रगुत्ती में रेणुका देवी मेला महोत्सव 5 मार्च से शुरू होगा परन्तु श्रीक्षेत्र में बुनियादी ढांचे की कमी अभी भी स्पष्ट नजर आ रही है। मेले में राज्य एवं बाहरी राज्यों से लाखों श्रद्धालु आते हैं।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि उनके लिए जरूरी पेयजल, शौचालय, शयनगृह और बिजली सुविधाएं अपर्याप्त हैं। आने वाले श्रद्धालुओं को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने में ग्राम पंचायत और मुजराई (मंदिर) विभाग विफल हुए हैं।
प्रदूषित हो रहा मंदिर के आसपास का क्षेत्र
देवी मेला 5 से 9 मार्च तक धूमधाम से आयोजित किया जाएगा। मेले से एक दिन पहले पहुंचने वाले भक्त यहां रुकते हैं और अगले दिन देवी के दर्शन करते हैं। आने वाले श्रद्धालुओं को अच्छी तरह से सुसज्जित शौचालय, पेयजल, आवास और स्नान की सुविधा की आवश्यकता होती है। यहां चार मोबाइल शौचालय और एक अलग शौचालय है, परन्तु वे उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इसके चलते श्रद्धालुओं को शौच के लिए खुले में जाना पड़ेगा। इस कारण मंदिर के आसपास का क्षेत्र प्रदूषित हो रहा है।
सडक़ों पर सोने को मजबूर
विधायक कल्याण विकास योजना के तहत 2015 में पेयजल इकाई का निर्माण किया गया था, परन्तु इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है। गर्मी इतनी अधिक है कि श्रद्धालुओं को पीने का पानी ढूंढने में कठिनाई हो रही है। रात भर रुकने वाले भक्तों को आवास नहीं मिल पाने से उन्हें सडक़ों पर सोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
कोई स्थायी समाधान नहीं किया
स्थानीय लोगों का कहना है कि स्थानीय विधायक एवं जिला प्रभारी मंत्री मधु बंगारप्पा के सहयोग से मंदिर के विकास के लिए 2.84 करोड़ रुपए का अनुदान मंजूर किया गया है। वर्ष के अंत में भक्तों से दान के माध्यम से करोड़ों रुपए एकत्र हो जाते हैं परन्तु श्रद्धालुओं की बुनियादी सुविधाओं के लिए कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया है।
खुले में ही नहाने, कपड़े बदलने की स्थिति
स्थानीय निवासी रघु एम. स्वादि ने कहा कि चंद्रगुत्ती में मुख्य रूप से अच्छी तरह से सुसज्जित शौचालय आवास और बाथरूम की आवश्यकता है। स्नानगृह नहीं होने से महिलाओं को खुले में ही नहाना और कपड़े बदलने की स्थिति पैदा हुई है।
साड़ी बांधकर नहाना पड़ता है…
स्थानीय लोगों का कहना है कि श्री क्षेत्र चंद्रगुत्ती में पूरे दिन भक्त आते हैं। उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है। महिलाओं को चारों ओर साडिय़ां बांधकर स्नान करने की स्थिति बनी हुई है। कपड़े बदलने के लिए भी यही तरीका अपनाया जाता है और महिलाओं की दुर्दशा वर्णन से परे है। श्रीक्षेत्र में आने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए जच्चाएं बड़ी संख्या में आती हैं परन्तु उनके पास बच्चे को स्तनपान कराने के लिए कमरे नहीं हैं। यहां पेड़ों की छाया में स्तनपान कराने जैसी स्थिति है। मंदिर के विकास के साथ-साथ स्तनपान केंद्र बनाने के लिए भी कदम उठाने चाहिए।
2.84 करोड़ रुपए का अनुदान मंजूर
मंदिर के विकास के लिए 2.84 करोड़ रुपए का अनुदान मंजूर किया गया है। जैसे ही धनराशि जारी होगी, क्षेत्र में बुनियादी ढांचे सहित मंदिर विकास कार्यों के लिए कदम उठाए जाएंगे।
–प्रमिला कुमारी, कार्यकारी अधिकारी, श्री रेणुकाम्बा मंदिर