बाल न्याय अधिनियम के बारे में जानना जरूरीसाइबर अपराध और बच्चों से संबंधित विभिन्न कानूनों से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन करते अतिथि।

साइबर अपराध और बच्चों से संबंधित विभिन्न कानूनों की एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

हुब्बल्ली. कर्नाटक राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य शेखरगौड़ा रामत्नाल ने कहा कि बाल न्याय अधिनियम के बारे में जानकारी होना बहुत महत्वपूर्ण है और सभी को इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए।

वे कर्नाटक राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, बाल संरक्षण निदेशालय, जिला प्रशासन, जिला पंचायत, महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला बाल संरक्षण इकाई, बाल हेल्पलाइन-1098, 112 धारवाड़ संयुक्त तत्वावधान में कलघटगी गुड न्यूज कॉलेज के सभा भवन में कलघटगी तालुक स्तर के अधिकारियों के लिए बालकों के संरक्षण के लिए स्थित बाल न्याय अधिनियम-2015, बच्चों के विरुद्ध यौन शोषण प्रतिबंध अधिनियम -2012, बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम-2006, बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध तथा बच्चों से संबंधित विभिन्न कानूनों पर आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन कर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को वापस स्कूल लाना शिक्षा विभाग की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। बाल विवाह निषेध अधिकारियों को दी गई जागरूकता के बावजूद सिर्फ एक विभाग ही कार्रवाई कर रहा है, अन्य विभागों को भी बाल विवाह रोकने के लिए सक्रिय होना होगा। यह खेदजनक है कि हाल के दिनों में साइबर अपराध के अधिक मामले सामने आए हैं, विशेषकर बच्चे इसके शिकार बन रहे हैं। इसलिए, साइबर अपराधों के बारे में आम जनता और बच्चों में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। यदि स्कूलों, छात्रावासों या सार्वजनिक स्थानों पर बच्चों का यौन शोषण पाया जाता है तो तुरंत मामला दर्ज करना चाहिए और बच्चे को न्याय दिलाने में सभी को भागीदारी निभानी चाहिए।

कलघटगी गुड न्यूज कॉलेज के सचिव ब्रदर वर्गीस केजे ने कहा कि उक्त कार्यक्रम बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है तथा जागरूकता पैदा करने के लिए सभी स्कूलों व कॉलेजों में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करना बहुत जरूरी है।

जिला बाल संरक्षण इकाई की जिला बाल संरक्षण अधिकारी नीता ने कहा कि संकटग्रस्त बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाना सभी का प्राथमिक कर्तव्य है। यदि बच्चों से संबंधित कोई मामला पाया जाए तो तुरंत 1098,112 पर कॉल करना चाीहिए या जिला बाल संरक्षण इकाई, बाल कल्याण समिति से संपर्क करना चाहिए। देखभाल और पोषण की जरूरत वाले बच्चों को अनाथालय में भर्ती कर विभाग की ओर से उनका पुनर्वास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हम सभी को मिलकर जैविक माता-पिता की अनुपस्थिति में परित्यक्त, अनाथ और समर्पित बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया के माध्यम से बच्चे के लिए एक पारिवारिक माहौल बनाने में हाथ मिलाना चाहिए।

साइबर अपराध पुलिस थाने के पुलिस उपनिरीक्षक अभिजीत ने कलघटगी तालुक स्तर के अधिकारियों को साइबर क्राइम अपराधों, मोबाइल उपयोग और इसके दुष्प्रभावों पर व्याख्यान दिया। विधिक एवं परिवीक्षा अधिकारी नूरजहां किल्लेदार ने पोक्सो अधिनियम-2012 के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

निजी परामर्शदाता विशाल कानपेट ने बाल संरक्षण नीति-2016, संशोधन 2023 के बारे में बताया। सामाजिक कार्यकर्ता श्वेता किल्लेदार ने बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम 2006, संशोधन अधिनियम 2016 पर व्याख्यान दिया। सामाजिक कार्यकर्ता करेप्पा कौजलगी ने बाल न्याय अधिनियम 2015 के बारे में जानकारी दी।

कार्यक्रम में कलघटगी तहसीलदार ग्रेड-2 बसवराज हेंकन्नवर, कलघटगी पीएसआई सीएन करवीरप्पनवर, कलघटगी तालुक पंचायत के कार्यकारी अधिकारी परशुराम वाई. सावंत ने भाग लिया था। कार्यक्रम में जिला बाल संरक्षण इकाई और बाल हेल्पलाइन के कर्मचारी उपस्थित थे।

कार्यक्रम का संचालन क्षेत्र कार्यकर्ता भारती बंडी ने किया। मुहम्मद अली तहसीलदार ने स्वागत किया। शंकर भोसले ने आभार प्रकट किया।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *