आयोग के अध्यक्ष डॉ. के. नागन्नगौड़ा
बल्लारी. कर्नाटक राज्य बाल अधिकार आयोग के अध्यक्ष के. नागन्नगौड़ा ने कहा कि बच्चे देश की संपत्ति हैं। उनकी सुरक्षा करना सभी अधिकारियों का मुख्य कर्तव्य है।
वे बुधवार को बल्लारी में आरटीई-2009, पोक्सो-2012 और किशोर न्याय अधिनियम-2015 के क्रियान्वयन पर जिला स्तरीय प्रगति समीक्षा बैठक में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों की रक्षा, बच्चों को मुख्यधारा में लाने और बाल विवाह को रोकने के लिए सभी विभागों को समन्वय के साथ काम करना चाहिए। अगर बाल विवाह की घटना होती है, तो तुरंत एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। संबंधित अधिकारी माता-पिता से गहन परामर्श करें, सहमति पत्र लिखें और समझाएं कि बच्ची के 18 वर्ष का होने के बाद ही विवाह करना चाहिए।
नागन्नगौड़ा ने कहा कि पुलिस को जिले के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों, विभिन्न छात्रावासों में नियुक्त अतिथि शिक्षकों और आउटसोर्स कर्मचारियों के सत्यापन प्रमाणपत्र की अनिवार्य रूप से जांच करनी चाहिए। वर्तमान में ऑनलाइन गतिविधियां और नशा बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है। अधिकारियों को बच्चों के भविष्य के बारे में सोचने की जरूरत है।
आयोग के सदस्य डॉ. केटी तिप्पेस्वामी, वेंकटेश, शशिधर कोसांबे, शेखरगौड़ा रामत्नाल, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष विजयलक्ष्मी मैदूर, जिला पंचायत के सीईओ मोहम्मद हैरिस सुमैर, अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक रविकुमार, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी रामकृष्ण नायक, जिला बाल संरक्षण इकाई के बाल संरक्षण अधिकारी एले नागप्पा, अन्य लोगों ने बैठक में भाग लिया और बच्चों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताया। इससे पहले आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों ने बल्लारी के छात्रावासों और अस्पतालों का दौरा कर उनका निरीक्षण किया।