एशिया का सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा बनने की ओर कदंबाअरब सागर में संयुक्त रूप से परिवहन करते भारतीय नौसेना के विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत।

कारवार की अनोखी भौगोलिक बनावट ने दी भारत को सुरक्षित समुद्री शक्ति
कारवार. देश के सबसे बड़े नौसैनिक अड्डों में गिने जाने वाला कदंबा नौसैनिक अड्डा अब कुछ ही महीनों में एशिया का सबसे बड़ा नौसेना अड्डा बनने जा रहा है। कारवार में इस अड्डे की स्थापना के पीछे सामरिक दृष्टि से बेहद रोचक कारण छिपा है।

मुंबई और कोच्चि के बाद 1971 के भारत-पाक युद्ध ने यह स्पष्ट कर दिया कि समुद्र तट से थोड़ी दूरी पर स्थित किसी सुरक्षित स्थल पर विशाल नौसैनिक अड्डा आवश्यक है। ऐसा स्थान, जहां दुश्मन की सीधी मिसाइल या हवाई हमले की संभावना कम हो और जवाबी कार्रवाई सटीक ढंग से की जा सके।

इस आवश्यकता का सबसे उपयुक्त उत्तर था-कारवार। समुद्र तट के पास ऊंचे पर्वतों की प्राकृतिक श्रृंखला और सामरिक सुरक्षा ने इसे नौसेना के लिए आदर्श ठिकाना बना दिया।

सीबर्ड परियोजना ने बदली कारवार की पहचान

90 के दशक में लगभग 6 हजार एकड़ क्षेत्र में प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत कदंबा अड्डे का निर्माण आरंभ हुआ। 2006 में पहला चरण पूरा होने के बाद यह अड्डा आधिकारिक रूप से अस्तित्व में आया।

तीन दशक पहले छोटा-सा कस्बा माना जाने वाला कारवार आज आधुनिक शहर में बदल चुका है। नौसेना के आगमन ने यहां की अर्थव्यवस्था, रोजगार और बुनियादी ढांचे को नई दिशा दी।

पहले चरण में ही लगभग 8 हजार लोग कारवार आ बसे। दूसरे चरण का कार्य पिछले पांच वर्षों से तेजी से चल रहा है। बहुमंजिला आवास, तटबंध, शिपयार्ड और अत्याधुनिक बुनियादी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। अनुमान है कि इसके पूरा होते ही 10 से 25 हजार नए रोजगार सृजित होंगे।

आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत का सुरक्षित ठिकाना

कदंबा नौसैनिक अड्डा विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य और स्वदेशी निर्मित आईएनएस विक्रांत का सुरक्षित ठिकाना है। यहां आधुनिक पनडुब्बियां और अनेक उन्नत नौसैनिक सुविधाएं मौजूद हैं।

प्राचीन भारतीय नौकायन परंपरा को दर्शाने वाली आईएनएसवी काउण्डिन्य का लोकार्पण भी यहीं हुआ। यह पारंपरिक शैली की अनोखी नौका है, जिसे हाड़-वुड और नारियल के रेशों से तैयार किया गया है। इसके अग्रभाग पर सिंहाकृति और हरप्पा शैली का लंगर विशेष आकर्षण है।

अंजदिव द्वीप: शौर्य की गाथा से जुड़ा स्थल

कदंबा अड्डे के अंतर्गत आने वाले अंजदिव द्वीप पर च्अंजदिव युद्ध स्मारकज् स्थापित है। यह स्मारक 18 दिसंबर 1961 को गोवा मुक्ति अभियान में शहीद हुए सैनिकों की स्मृति में बनाया गया।

भारतीय नौसेना की एक पनडुब्बी-रोधी युद्धनौका का नाम भी च्आईएनएस अंजदिवज् रखा गया है। यह द्वीप नौसेना की प्रशिक्षण गतिविधियों और सामरिक योगदान के लिए विशेष महत्व रखता है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *