पुराने बस स्टैंड पर अभी तक चालू नहीं हुए लिफ्ट, एस्केलेटरहुब्बल्ली के पुराने बस स्टैंड (शहरी एवं उपनगरीय परिवहन बस स्टैंड) पर लिफ्ट, एस्केलेटर वंद होने से कंधे पर बोरी लादकर सीढियों के जरिए बस स्टैंड से बाहर आता वृध्द।

नवीनीकरण के बाद भी उपलब्ध नहीं हुई सुविधाएं

हुब्बल्ली. शहर के कित्तूर रानी चन्नम्मा सर्किल के पास स्थित पुराने बस स्टैंड (शहर और उपनगरीय परिवहन बस स्टैंड) को नया रूप दिया गया है और 12 जनवरी को इसका उद्घाटन भी किया गया, परन्तु यह अभी तक यात्रियों को पूरी सेवा नहीं दे पाया है।
स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 50.58 करोड़ रुपए की लागत से तीन चरणों में दो मंजिला हाईटेक बस स्टैंड का निर्माण किया गया है।

संघर्ष करना पड़ता है

भूतल पर शहरी परिवहन और बीआरटीएस बसों तथा प्रथम तल पर उपनगरीय परिवहन की व्यवस्था की गई है। बच्चों, विकलांगों और बुजुर्ग यात्रियों की सुविधा के लिए भूतल से प्रथम तल तक जाने के लिए लिफ्ट और एस्केलेटर लगाया गया है परन्तु बस स्टैंड के उद्घाटन दिवस को छोडक़र, लिफ्ट और एस्केलेटर अभी तक शुरू नहीं किए गए हैं। इससे बुजुर्गों, विकलांगों और गर्भवती महिलाओं को उपनगरीय परिवहन बस स्टॉप की भूतल से पहली मंजिल तक जाने के लिए सीढिय़ों का उपयोग करने में संघर्ष करना पड़ता है।

परिवहन निगम को हस्तांतरित किया

बस स्टैंड का निर्माण कार्य सितंबर 2022 में शुरू हुआ था, निर्धारित समय से देरी से पूरा हुआ। बस स्टॉप का अधिकांश कार्य पूरा होने के बावजूद इसका उद्घाटन न किए जाने पर जनता में कड़ा विरोध हुआ था। बताया गया था कि यात्रियों की सुविधा के लिए लिफ्ट व एस्केलेटर लगाने के कारण बस स्टैंड के निर्माण कार्य में देरी हुई है। बस स्टैंड पर अभी भी अधिकांश काम होना बाकी है, इसके बाद भी स्मार्ट सिटी की ओर से बस स्टैंड का जल्दबाजी में उद्घाटन कर उसे उत्तर-पश्चिम कर्नाटक परिवहन निगम को हस्तांतरित किया गया।

यात्रियों में निराशा

बस स्टैंड के उद्घाटन के दो दिन बाद उत्तर पश्चिम कर्नाटक परिवहन निगम ने बस परिचालन फिर से शुरू कर दिया है परन्तु रोजाना चलने वाली लिफ्ट और एस्केलेटर अभी तक चालू नहीं हो पाई हैं, जिससे यात्रियों में निराशा है।

संघर्ष करना पड़ रहा है

विकलांग प्रवीण कल्लिगुद्दी ने कहा कि बस स्टैंड को बाहर से देखने पर हाईटेक तरीके से बनाया गया है परन्तु प्लेटफॉर्म पर यात्रियों के बैठने के लिए सीमित कुर्सियां हैं। अधिकांश लोगों को खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा, बस स्टैंड पर लिफ्ट और एस्केलेटर भी केवल दिखावे तक ही सीमित हैं। मुझे हर दिन सीढिय़ों का उपयोग करके बस स्टॉप तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

औपचारिकता के लिए बस स्टैंड बनाया

एक यात्री रुद्रम्मा कहती हैं कि यह कहा गया था कि बस स्टैंड पर बच्चों का देखभाल केंद्र, विश्राम कक्ष, कैंटीन व्यवस्था और दुकानें होंगी परन्तु उद्घाटन को लगभग एक महीना होने के बाद अभी तक कोई व्यवस्था नहीं हुई है। औपचारिकता के लिए बस स्टैंड बनाया गया है।

इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया

उत्तर कर्नाटक ऑटो-रिक्शा चालक संघ के अध्यक्ष शेखरय्या मठपति ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि उद्घाटन के दिन जनप्रतिनिधियों और परिवहन अधिकारियों ने वादा किया था कि बस स्टैंड के सामने जल्द ही ऑटो स्टैंड बनाया जाएगा परन्तु अब तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।

सप्ताह के भीतर यह सुविधा शुरू की जाएगी

बुजुर्ग लोगों, विकलांगों और महिलाओं को लिफ्ट, एस्केलेटर पर चलने के लिए उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता होनी चाहिए। इसके चलते आवश्यक कर्मचारियों की तैनाती कर सप्ताह के भीतर यह सुविधा शुरू की जाएगी।
-प्रियांगा एम, प्रबंध निदेशक, उत्तर पश्चिम कर्नाटक सडक़ परिवहन निगम

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