सुरक्षा और सुविधा का वरदान
हुब्बल्ली. रेल में अकेली यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने नवंबर 2020 में ‘ऑपरेशन मेरी सहेली’ योजना शुरू की थी। अब यह योजना अपेक्षा से कहीं अधिक सफल साबित हुई है और दक्षिण-पश्चिम रेलवे (दपरे) में यात्रियों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
2024-25 के शैक्षणिक वर्ष में, इस योजना के तहत 7,075 ट्रेनों में 2,84,156 अकेली महिलाओं की पहचान की गई और उनसे संवाद किया गया। आरपीएफ टीम महिला यात्री के डिब्बे तक पहुंचकर उनसे बातचीत करती है और उनके गंतव्य स्टेशन तक सुरक्षित पहुंचने की जानकारी सुनिश्चित करती है। इसके तहत महिलाओं को यात्रा के दौरान सुरक्षा प्रदान की जाती है और उनके साथ लगातार संपर्क बनाए रखा जाता है।
योजना की शुरुआत में केवल 32 ट्रेनों में परीक्षण किया गया था। इसके लिए 10 टीमों का गठन किया गया और 72 आरपीएफ जवानों को तैनात किया गया था। इसके बाद योजना को व्यापक रूप दिया गया और अब यह दक्षिण-पश्चिम रेलवे मंडल में प्रभावी रूप से लागू है।
इसके अलावा ऑपरेशन डिग्निटी के तहत यात्रा के दौरान संकट में फंसे 66 यात्रियों (44 पुरुष, 24 महिलाएं) को तत्काल मदद प्रदान की गई। ऑपरेशन अमानत योजना के तहत, 660 यात्रियों को खोए हुए लैपटॉप, मोबाइल और सोने-चांदी के आभूषण लौटाए गए, जिनकी अनुमानित कुल कीमत 1.99 करोड़ रुपए थी। इसके साथ ही, ऑपरेशन संरक्षक और ऑपरेशन जीवन रक्षा जैसी योजनाओं के तहत भी यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित की जा रही है।
दक्षिण-पश्चिम रेलवे के सीपीआरओ डॉ. मंजुनाथ कनमड़ी ने कहा कि रेलवे यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। अकेली महिलाओं के अलावा बुजुर्ग यात्रियों को भी हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है।
इस प्रकार ‘मेरी सहेली’ योजना महिला यात्रियों की यात्रा को सुरक्षित, आरामदायक और भरोसेमंद बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। यह योजना न केवल महिलाओं के लिए आत्मविश्वास और सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि रेलवे यात्रा को अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक भी बनाती है।
