30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत छात्रों को नहीं मिल पा रहा प्रवेश
हुब्बल्ली. धारवाड़ जिले में शिक्षा प्राप्त करने के लिए अन्य जिलों से आने वाले गरीब छात्रों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। विभिन्न समुदायों से छात्रावास में प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले छात्रों में से 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत छात्रों को प्रवेश नहीं मिल पा रहा है।
धारवाड़ जिले में कर्नाटक विश्वविद्यालय, लॉ यूनिवर्सिटी, एसडीएम कॉलेज, केएलई टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी सहित कई सरकारी, अनुदानित और अनुदान रहित निजी शैक्षणिक संस्थान हैं परन्तु छात्रों की संख्या के अनुरूप छात्रावासों की संख्या कम है।
अधिकारी कहते हैं कि वर्तमान में जिले में पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत कुल 99 मैट्रिक के बाद के छात्रावास हैं। यह संख्या पर्याप्त नहीं है।
हुब्बल्ली सहित जिले में समाज कल्याण विभाग के अधिकतर छात्रावास सरकारी इमारतों में हैं और अच्छी सुविधाओं से लैस हैं। छात्रों को समय पर भोजन, नाश्ता, हाइजीन किट, पुस्तकालय सुविधा, स्टेशनरी, यूनिफॉर्म, जूते-मोजे जैसी जरूरी शैक्षणिक सामग्री दी जाती है परन्तु बीसीएम (पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक) और अल्पसंख्यक विभाग के कुछ छात्रावास किराए की इमारतों में हैं और वहां सुविधाओं की कमी की शिकायतें हैं।
अलनावर तालुक मुख्यालय में मैट्रिक के बाद के छात्रावास की मांग के बावजूद मंज़ूरी नहीं मिली है। वहां केवल एक मैट्रिक पूर्व बालक छात्रावास है।
अण्णिगेरी कस्बे में दो छात्रावास है। एक मैट्रिक पूर्व बालकों के लिए और दूसरा मैट्रिक के बाद बालिकाओं के लिए। बालकों का छात्रावास कम नामांकन के चलते बंद कर दिया गया है। इसे मैट्रिक के बाद में बदले जाने की मांग की गई है।
नवलगुंद कस्बे में बीसीएम विभाग के अंतर्गत डी. देवराज अरस छात्रावास किराए की इमारत में चल रहा है और सुविधाएं अपर्याप्त हैं। जबकि डॉ. बीआर अंबेडकर बालिका छात्रावास अच्छी सुविधा युक्त सरकारी भवन में है।
सभी योग्य छात्रों को प्रवेश देने की नीति
एक अधिकारी का कहना है कि सरकार का निर्देश है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रावासों में सभी योग्य छात्रों को उपलब्धता के आधार पर प्रवेश दिया जाए परन्तु बीसीएम और अल्पसंख्यक विभाग के कुछ छात्रों को छात्रावास सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसलिए ज़िलाधिकारी को और छात्रावासों की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।
अभिभावकों की चिंता
एक अभिभावक ने कहा कि मैट्रिक के बाद छात्रों के लिए जिन छात्रावासों में सुविधाएं नहीं हैं, उन्हें पहले ही बेहतर किया जाना चाहिए। यदि तीनों विभागों (पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, समाज कल्याण) के सभी योग्य छात्रों को प्रवेश मिल जाए, तो उनका शैक्षणिक भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।
18,910 छात्र वंचित
तीनों विभागों ने जिलाधिकारी को दी गई रिपोर्ट में कहा है 2024-25 शैक्षणिक वर्ष में धारवाड़ जिले के सभी संस्थानों में 99,174 छात्र पढ़ रहे थे। इनमें से 35,255 छात्रों ने तीन विभागों के छात्रावासों में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। इनमें से केवल 16,345 छात्रों को प्रवेश मिला। 18,910 छात्र छात्रावास सुविधा से वंचित रह गए।
46 अतिरिक्त छात्रावासों की मांग
जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अधिकारी का कहना है कि तीन सालों से छात्रावासों में प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। धारवाड़ जिले में 100 छात्रों की क्षमता के आधार पर 46 नए मैट्रिक के बाद के छात्रावासों की जरूरत है। इस संबंध में तीनों विभागों ने जनवरी में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा था।
21 स्थलों की पहचान
समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को 46 अतिरिक्त छात्रावासों की जरूरत है। छात्रावासों के निर्माण के लिए 21 स्थलों की पहचान की गई है।
–दिव्य प्रभु, जिलाधिकारी, धारवाड़
सरकार को प्रस्ताव सौंपा है
छात्र संख्या के अनुसार छात्रावासों की कमी है। अतिरिक्त छात्रावासों के लिए सरकार को प्रस्ताव सौंपा गया है। मंजूरी मिलने पर सभी को लाभ होगा।
–भुवनेश पाटिल, सीईओ, जिला पंचायत, धारवाड़
अतिरिक्त 20 छात्रावासों की आवश्यकता
समाज कल्याण विभाग से संबंधित कुल 41 प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रावास हैं। अतिरिक्त 20 छात्रावासों की आवश्यकता है।
–पी. शुभ, संयुक्त निदेशक, समाज कल्याण विभाग, धारवाड़
अतिरिक्त 10 छात्रावासों की आवश्यकता
जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से संबंधित 17 पोस्ट-मैट्रिक छात्रावास हैं। अतिरिक्त 10 छात्रावासों की आवश्यकता है।
—पूर्णिमा चूरी, जिला अधिकारी, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, धारवाड़
16 और छात्रावासों की आवश्यकता
जिले में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग से संबंधित कुल 82 प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रावास हैं। 16 और छात्रावासों की आवश्यकता है।
–गंगाधर दोडमनी, उप निदेशक, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, धारवाड़
जिला के बालक – बालिकाओं के छात्रावास
विभाग — वर्तमान — स्वयं का भवन — किराए का भवन — जरूरी छात्रावास
पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग — 82 — 37 — 45 — 16
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग — 17 — 11 — 06 — 10
समाज कल्याण विभाग — 41 — 33 — 08 — 20
जरूरी कुल छात्रावास — 46
