चित्रदुर्ग. नगर के श्री पाश्र्व भवन प्रवचन हाल में श्री गोडी पाश्र्वनाथ जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ के तत्वावधान में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए डॉ. वैभव रत्न विजय ने अहिंसा के विभिन्न स्वरूपों और महत्व पर विस्तृत प्रवचन दिया।
उन्होंने कहा कि अहिंसा केवल हिंसा का अभाव नहीं, बल्कि प्राणी मात्र के प्रति करुणा, अनुकंपा और दया का भाव भी है। किसी भी जीव के प्राण हरण करने वाले व्यापार या व्यवहार से बचना ही सच्ची अहिंसा है। उन्होंने थावर (स्थावर) जीवों की रक्षा, कमजोर प्राणियों की सहायता, और पंचमहाभूत सहित एकेन्द्रिय जीवों के प्रति करुणा रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. वैभव रत्न विजय ने अहिंसा के आठ प्रमुख सूत्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवती अहिंसा का पालन गुणों के साथ होना चाहिए और निर्दोष जीवों को कष्ट पहुंचाना सबसे बड़ी हिंसा है।
धर्मसभा में जैन संघ के ट्रस्टीगण, सिद्धी तपस्वी, वर्षीतप तपस्वी सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।
