इस बार संतुलित बजट
रेलवे परियोजनाओं को मिलनी चाहिए थी प्राथमिकता
हुब्बल्ली. कर्नाटक चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (केसीसीआई) के अध्यक्ष एस.पी. संशीमठ ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से प्रस्तुत वार्षिक बजट बहुत ही दूरदर्शी बजट है और इससे काफी खुशी मिली है। यह बजट देश के लोगों के हित में है और देश के विकास के लिए अनुकूल है।
चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मानद सचिव महेंद्र सिंघी ने कहा कि हम केन्द्रीय बजट का खुले मन से स्वागत करते हैं। यह वास्तव में अच्छा और संतुलित बजट है और इसमें रेलवे नियोजन और विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए थी। न्यू टैक्स रिजीम के तहत 12 लाख रुपए सालाना तक की इनकम को आयकर के दायरे से बाहर रखने का ऐलान किया है। इससे नौकरीपेशा वर्ग के करोड़ों लोगों को फायदा होगा। ई-श्रम मंच पर पहचान पत्र और पंजीकरण की व्यवस्था से ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए डिलिवरी सेवाएं प्रदान करने वाले कर्मचारी आदि एक करोड़ गिग कर्मियों को लाभ होगा। इस बजट में कर्नाटक के लिए कुछ खास नहीं दिया है। केंद्र सरकार ने इस बजट में कर्नाटक की किसी भी परियोजना की घोषणा नहीं की है। कर्नाटक के नजरिए से यह बेहद निराशाजनक है। कर्नाटक में सिंचाई परियोजनाओं के लिए कोई पैसा आवंटित नहीं किया गया है। ऊपरी भद्रा जल परियोजना, महादयी नदी, मेकेदाटु और कृष्णा नदी सिंचाई परियोजनाओं जैसी परियोजनाओं पर कोई विचार नहीं किया गया। हमें बजट से बड़ी उम्मीदें थीं, परन्तु यह उन पर खरा नहीं उतर सका है। यह बिहार और दिल्ली के चुनावों को ध्यान में रखकर पेश किया गया बजट है। राजनीतिक कारणों से बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष अनुदान दिया गया है। हुब्बल्ली धारवाड़ में जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण स्थापित करने की हमारी मांग पूरी नहीं हुई है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट चन्नवीर मुंगरवाड़ी ने कहा कि मुझे खुशी है कि जिस बजट का मैं कई वर्षों से बेसब्री से इंतजार कर रहा था, वह पेश हो गया है। केंद्र सरकार ने एक जन-समर्थक बजट पेश किया है, जो वास्तव में देश के विकास और श्रमिक वर्ग का समर्थक है।
केसीसीआई सचिव रवींद्र बलिगार ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विशेष वार्षिक बजट पेश किया है। सचमुच स्वागत योग्य बजट है। दूरदर्शी बजट देश के समग्र विकास के साथ-साथ वेतनभोगी कर्मचारियों और जनता के लिए भी एक अच्छा बजट है।
जीके आदप्पगौडर ने कहा कि केंद्रीय बजट में भारतीय रेलवे को उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए थी परन्तु रेलवे को प्राथमिकता नहीं दी गई है। अनुपूरक बजट में इसका प्रावधान करने की उम्मीद है। रेलवे को छोडक़र यह वास्तव में एक संतुलित बजट है।
कर्नाटक के लिए भी बहुत निराशाजनक बजट
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता और कर्नाटक चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष वसंत लदवा ने कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 अत्यंत निराशाजनक है, जिसमें देश की बहुसंख्यक जनता के लिए किसी भी वांछित या अपेक्षित परियोजना का अभाव है। यह कर्नाटक के लिए भी बहुत निराशाजनक है।
लदवा ने कहा कि हुब्बल्ली-अंकोला मार्ग से उत्तर कर्नाटक के 16 जिलों के लगभग तीन करोड़ चालीस लाख लोगों को लाभ मिलने की उम्मीद है, परन्तु आज के प्रतिस्पर्धी युग में सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक, स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के लिए बुनियादी ढांचा आवश्यक और अनिवार्य है। राज्य के 80 तालुक सुविधाओं से वंचित हैं और मुख्यधारा से कटे हुए हैं। बुनियादी ढांचे की कमी के कारण, उत्तर कन्नड़ जिले में राज्य में सबसे कम जनसंख्या घनत्व है।
हुब्बल्ली-अंकोला परियोजना 164.44 किलोमीटर लंबी है। इस योजना के तहत पहले ही 117 करोड़ रुपए की लागत से हुब्बल्ली और कलघटगी के बीच 47 किलोमीटर मार्ग का विकास हो चुका है परन्तु काम रुका हुआ है। इस परियोजना के लिए केवल 138 हेक्टेयर वन क्षेत्र की आवश्यकता है। 164.44 किलोमीटर लम्बी इस परियोजना में 105 किलोमीटर का वनविहीन मैदान शामिल है। इसमें 20 किलोमीटर लंबी सुरंग और 20 किलोमीटर का वन रहित पहाड़ी क्षेत्र है। केवल 23 किमी वन क्षेत्र की आवश्यकता है। यदि वन क्षेत्र का केवल एक फीसदी ही आवश्यक बुनियादी ढांचे और विकास के लिए उपयोग किया जाता है, तो इससे पर्यावरण या वन्य जीवन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि इसी कारण से भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. टीवी रामचंद्र की ओर से दी गई रिपोर्ट इसकी पूरक है।
लदवा ने कहा कि केन्द्र सरकार के पर्यावरण विभाग ने 1980-81 में ही उत्तर कन्नड़ जिले में जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दे दी थी। वन एवं पर्यावरण विभाग ने कोंकण रेलवे परियोजनाओं को बिना किसी बाधा के मंजूरी दे दी है। पर्यावरणविद् राजेश भट की ओर से ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत 27 दिसंबर 2021 को सौंपे गए आधिकारिक सूचना रिकॉर्ड विभाग के पास है परन्तु केंद्रीय बजट में इस परियोजना के लिए कोई प्रस्ताव न होने, कोई अतिरिक्त अनुदान न मिलने, काम शुरू न होने और कोई अधिसूचना जारी नहीं होने से लंबे समय से इसका इंतजार कर रहे उत्तर कर्नाटक, कल्याण कर्नाटक और मध्य कर्नाटक के करोड़ों कन्नड़ लोगों को बड़ी निराशा हुई है।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, केंद्र सरकार ने उत्तर कर्नाटक में कलसा बंडूरी नाला डायवर्जन परियोजना को भी पूरी तरह नजरअंदाज किया है। उत्तर कर्नाटक के साथ-साथ हुब्बल्ली और धारवाड़ जुड़वां शहरों के लिए एकमात्र इस पेयजल परियोजना को भी बजट में पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।
लदवा ने कहा कि 1980 में महादयी मलप्रभा परियोजना का प्रस्ताव सबसे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री आर गुंडूराव की कांग्रेस सरकार ने रखा था। 2001 में कलसा बडूरी नाला डायवर्जन परियोजना शुरू की गई। जल संसाधन विभाग को 30 अप्रेल 2002 को ईओ की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई थी। इसे राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग से अनापत्ति पत्र प्राप्त हुआ था। इस परियोजना के लिए अधिसूचना को 2000 में प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त हुई थी। आंशिक कार्य भी शुरू किया गया था परन्तु 2002 में दी गई अनुमति स्थगित कर दी गई तथा इस क्षेत्र के लाखों लोगों के लिए पेयजल की इस परियोजना का न तो बजट में उल्लेख किया गया, न ही कोई अनुपूरक या वित्तीय प्रस्ताव बनाया गया, जो उत्तर कर्नाटक के लिए अनिवार्य था। पिछले चार दशकों से संघर्ष कर रहे कन्नड़ लोगों को बहुत निराशा हुई है।