भाजपा ने किया बहिष्कार
गदग. हर दिन दिलचस्प मोड प्राप्त करने वाले गदग बेटगेरी नगर परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए शुक्रवार को चुनाव निर्धारित समय पर सम्पन्न हो गए।
फर्जी प्रस्ताव बनाने और नगर परिषद आयुक्त के जाली हस्ताक्षर करने के आरोप में भाजपा के तीन सदस्यों को नगर परिषद से अयोग्य घोषित करने से कांग्रेस उम्मीदवारों की साधारण बहुमत से विजयी हुए है।
वार्ड संख्या 16 के कृष्ण परापुर को अध्यक्ष तथा वार्ड संख्या 4 की शकुंतला अक्की को उपाध्यक्ष चुना गया।
पुलिस बंदोबस्त, निषेधाज्ञा लागू
गदग-बेटागेरी नगर परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव के तहत जिलाधिाकरी ने शुक्रवार को नगर परिषद परिसर के आसपास निषेधाज्ञा लागू करने का आदेश जारी किया था। इसके अलावा सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था। एहतियात के तौर पर, नगर परिषद को जोडऩे वाली आसपास की सडक़ों पर बैरिकेडिंग कर उन्हें बंद किया गया था।
गांधी सर्किल से लेकर रेलवे स्टेशन रोड तक तैनात पुलिस के जवानों को देखकर लोगों के मन में सवाल और चर्चा कर रहे थे कि क्या नगर परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के चुनाव के लिए इतने पुलिसकर्मियों की जरूरत है?
नामांकन दाखिल करने के दौरान हुई बहस
सुबह करीब 11.20 बजे भाजपा की ओर से चंद्रुतडसद और विजयलक्ष्मी दिंडूर ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। इस दौरान वरिष्ठ भाजपा नेताओं की पुलिस के साथ बहस हुई और उन्होंने मांग की कि उन्हें अनुमोदक और हस्ताक्षरकर्ता के रूप में प्रवेश की अनुमति दी जाए। अनुमति देने से इनकार करने पर उन्होंने मंत्री एच.के. पाटिल के खिलाफ नारे लगाए।
बाद में कांग्रेस के कृष्णा परापुर और शकुंतला अक्की ने अपना नामांकन दाखिल किया। उनके साथ अन्य लोगों को भी प्रवेश की अनुमति दिए जाने पर भाजपा ने पुन: विरोध जताया।
न्यायालय ने चुनाव स्थगित करने का आदेश दिया; यहां भी भाजपा को निराशा
दोपहर करीब 1.45 बजे हाईकोर्ट ने भाजपा नेताओं को अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव स्थगित करने का आदेश दिया। उन्होंने तर्क दिया कि चुनाव स्थगित करना चाहिए।
अदालत में अपने पक्ष में फैसला देने से उत्साहित भाजपा को एक बार फिर निराशा हो गई। चुनाव अधिकारी गंगप्पा एम. के पास अदालती आदेश की प्रति नहीं पहुंचने के कारण चुनाव प्रक्रिया निर्धारित समय के अनुसार जारी रही। कांग्रेस उम्मीदवारों को 18 वोट मिले, इसलिए उन्हें अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित घोषित किया गया।
इस दौरान सांसद बसवराज बोम्मई और भाजपा सदस्यों ने चुनाव का बहिष्कार कर मीडिया के सामने अपना आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने लोकतंत्र का नरसंहार किया है। अधिकारियों ने मंत्री एच.के. पाटिल के इशारों पर काम किया है।
उन्होंने कहा कि चुनाव स्थगित करने के अदालत के आदेश के बावजूद चुनाव कराने के लिए अदालत की अवमानना को चुनौती देने के लिए वे फिर से अदालत जाएंगे।
गदग बेटगेरी नगर परिषद प्रशासन की कमान संभालने वाले कांग्रेस सदस्यों ने मंत्री एच.के. पाटिल के पक्ष में नारे लगाए। आतिशबाजी करके जश्न मनाया।
अधिकारियों के व्यवहार निराशाजनक
भाजपा सदस्य चंद्रु तडसद ने कहा कि नगर परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान पूरे जिला प्रशासन ने एक ही पार्टी के लिए काम किया है, जो निराशाजनक है। अदालत का आदेश चुनाव से पहले आया था परन्तु इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया। इस दौरान सांसद बसवराज बोम्मई ने चुनाव अधिकारी से कहा कि चुनाव पर स्थगन आदेश प्राप्त हुआ है। इसी के अनुरूप आगे की कार्रवाई करनी चाहिए परन्तु उन्होंने कुछ नहीं सुना। यह न्यायालय की अवमानना होगी।
उन्होंने कहा कि अदालत को पता चला है कि आदेश का उल्लंघन किया गया है। इसके चलते शशिकिरण शेट्टी ने शुक्रवार शाम अदालत के समक्ष माफी मांगी है। कांग्रेस की ओर से निर्वाचित अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर निर्णय 5 मार्च को होगा।
कानून के अनुसार कार्य किया
उप-विभागीय अधिकारी गंगप्पा एम ने कहा कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव के लिए शुक्रवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक नामांकन दाखिल करने का मौका दिया गया था। चंद्रु तडसद और कृष्णा परापुर ने अध्यक्ष पद के लिए अपने नामांकन पत्र दाखिल किया था। इसी तरह शकुंतला अक्की और विजयलक्ष्मी दिंडूर ने उपाध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। चुनाव बैठक दोपहर दो बजे शुरू हुई। नियमानुसार उपस्थिति ली गई। कुल 34 सदस्य उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि कोरम पूरा होने से बैठक शुरू हुई और नामांकन पत्रों की जांच की गई। इसके बाद हाथ उठाकर मतदान कराया गया। कृष्णा परापुर को अध्यक्ष और शकुंतला अक्की को उपाध्यक्ष चुना गया तथा उन्हें 18 वोट मिले। भाजपा नगर परिषद सदस्यों ने सदन का बहिष्कार किया। उन्हें नहीं मालूम कि इसका कारण क्या है।
गंगप्पा ने कहा कि अदालत की ओर से कोई आदेश नहीं आया है। सिस्टम पास ही था, परन्तु ईमेल नहीं पहुंचा। आदेश की प्रति ही प्राप्त नहीं हुई है, तो यह अदालत की अवमानना नहीं होगी। हमने कभी किसी की कठपुतली बनकर काम नहीं किया है। हमने कानूनी कठपुतली के तौर पर अपना कर्तव्य निभाया है।
इतिहास खुद को दोहराता है
वर्ष 2008 के चुनावों में भाजपा ने 22 वार्ड जीतकर पहली बार नगर परिषद प्रशासन पर कब्जा किया था। स्थानीय विधायक और सांसद सहित इसकी कुल सदस्य संख्या 24 थी। 13 सीटें जीतने वाली कांग्रेस विपक्ष के स्थान पर थी परन्तु दूसरे कार्यकाल के लिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए हुए चुनावों के दौरान हुए राजनीतिक घटनाक्रम में तत्कालीन कांग्रेस के सदस्य रहे शिवप्पा मुलगुंद ने छह भाजपा सदस्यों के समर्थन से अध्यक्ष और खमरसुल्ताना नमाजी उपाध्यक्ष चुने गए थे।
मौजूदा पांच साल के कार्यकाल के दौरान भी 18 भाजपा सदस्यों और सांसदों के वोटों सहित कुल 19 वोटों के साथ भाजपा ने पहले कार्यकाल का शासन किया था परन्तु संयोगवश, दूसरे कार्यकाल के लिए विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने सत्ता की कमान संभाल ली है। भाजपा का पूर्ण कार्यकाल तक शासन नहीं करने का अपवाद इस बार भी जारी है।