कोप्पल रायर मठ की संपत्ति का मुद्दा
कोप्पल. शहर के रेलवे स्टेशन के पास स्थित राघवेंद्र स्वामी (रायर) मठ की संपत्ति का मुद्दा फिर से सामने आया है। बुधवार मध्य रात्रि को कोप्पल स्थित रायर मठ के श्रद्धालुओं ने मंत्रालय मठ के प्रमुख सुबुधेंद्र स्वामी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
सुबुधेंद्र स्वामी रायर मठ में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए बुधवार रात शहर पहुंचे थे।
श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए प्रवचन के दौरान सुबुधेंद्र स्वामी ने कहा कि कोप्पल रायर मठ मंत्रालय पीठ से संबंधित है और हमारे पास इससे संबंधित दस्तावेज हैं। वर्तमान की तरह भविष्य में भी सुचारू रूप से संचालित करने के लिए स्थानीय बुजुर्गों को शामिल करते हुए एक निगरानी समिति बनाने के लिए नाम उपलब्ध कराएं।
शहर के रायर मठ के भक्त इससे नाराज होकर आक्रोश व्यक्त किया। सुबुधेंद्र स्वामी के चले जाने के बाद उन्होंने कहा कि कोप्पल स्थित रायर मठ किसी का नहीं है। यह पांच दशकों से स्वतंत्र रूप से संचालित हो रहा है और कोप्पल के लोगों की ओर से चलाया जाता रहा है। आगे भी हमारे पास पूरा अधिकार होना चाहिए। मठ के विकास के लिए हमें सरकार और मंत्रालय पीठ से किसी वित्तीय सहायता की आवश्यकता नहीं है। समर्पण की भावना से इतने वर्षों से यहां मठ के प्रबंधक जगन्नाथ हुनगुंद ही प्रशासन का ध्यान रखते आए हैं। उन्होंने मांग की कि मंत्रालय को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
सुबुद्धेन्द्र स्वामी को यह बात बताने के लिए स्थानीय भक्तों ने आधी रात को नारे लगाते हुए पैदल ही जहां स्वामी रुके हुए एक भक्त के घर तक विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मांग की कि हमारे मठ को वर्तमान स्थिति के अनुसार स्वतंत्र रूप से चलने दिया जाए।
शहर के रायर मठ के संपत्ति विवाद को लेकर पहले भी इसी तरह की उलझन की स्थिति रही है। रायर मठ के भक्तों ने तर्क दिया कि पांच दशकों से मठ स्वतंत्र रूप से चलाया जा रहा है और 1971 में मठ की संपत्ति मंत्रालय को हस्तांतरित करने का पिछले तथ्य अब अप्रासंगिक हैं।
उनके ठहरे स्थान पर आए कोप्पल रायर मठ के मुख्य पुजारी रघु प्रेमाचार, प्रबंधक जगन्नाथ हुनगुंद समेत कई अन्य लोगों से बातचीत करते हुए सुबुधेंद्र स्वामी ने कहा कि कोप्पल रायर मठ का पूरा अधिकार 1971 में ही मंत्रालय पीठ को दे दिया गया है और हमारे पास इससे संबंधित दस्तावेज हैं। मैंने केवल उचित व्यवस्था करने को कहा है ताकि मठ सुचारू रूप से चल सके। कोप्पल मठ को अपहरण कर मंत्रालय ले जाया जाने की तरह पेश करना, उचित नहीं है। वर्तमान प्रबंधक जगन्नाथ हुनगुंद ही अपना पद जारी रहेंगे कहने के बाद यहां मौजूद श्रद्धालु निश्चिंत होकर मठ लौट गए।