रामायण महाकाव्य है, इतिहास नहींदावणगेरे के गुंडी महादेवप्पा कल्याण मंडप में गुरुवार को जिला प्रशासन, जिला पंचायत, अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग की ओर से आयोजित महर्षि वाल्मिकी जयंती कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन करतीं सांसद डॉ. प्रभा मल्लिकार्जुन।

साहित्यकार प्रो. एबी रामचन्द्रप्पा ने कहा
दावणगेरे. साहित्यकार प्रो. एबी रामचंद्रप्पा ने कहा कि रामायण महर्षि वाल्मिकी की ओर से लिखित एक महाकाव्य है न कि कोई इतिहास। इसे इतिहास के रूप में चित्रित करने और अदालत की मुहर लगाने के लिए देश में व्यवस्थित रूप से सांस्कृतिक राजनीति चल रही है।
वे शहर के गुंडी महादेवप्पा कल्याण मंडप में गुरुवार को जिला प्रशासन, जिला पंचायत, अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग की ओर से आयोजित महर्षि वाल्मिकी जयंती पर व्याख्यान दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि रामायण महाकाव्य में वाल्मिकी की ओर से रचित पात्रों को महत्व मिला है। वाल्मिकी और जिस समुदाय का उन्होंने प्रतिनिधित्व किया था, उसे हाशिए पर डाल दिया गया है। रामायण का गलत विश्लेषण किया जा रहा है। सांप्रदायिकता फैलाने के लिए रामायण को एक उपकरण के तौर पर इस्तेमाल करना वाल्मिकी के प्रति बहुत बड़ा अपमान है।
प्रो. रामचंद्रप्पा ने कहा कि रामायण इस देश का अलिखित सांस्कृतिक संविधान है। श्री राम, सीता, लक्ष्मण और भाइयों के रिश्ते, शासन प्रणाली को लोगों ने एक आदर्श के तौर पर स्वीकार किया है। सांस्कृतिक मूल्य और सामाजिक रिश्ते जीवित रहने का कारण रामायण ही वह है। हाल ही में जाति और सांप्रदायिक जहर के बीज बोने वालों के बीच श्री राम पिस रहे हैं। देश के लोग वाल्मिकी के राम को चाहते हैं, वैदिक मूल के श्री राम को नहीं।
उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि यह झूठ फैलाया गया है कि अग्रहार में पैदा हुए वाल्मिकी शिकारियों के कबिले में पले-बढ़े और डाकू बन गए। यदि वाल्मिकी डाकू होते तो एक महान महाकाव्य की रचना संभव नहीं होती। ऐसा झूठ पांच हजार वर्षों से बोया गया है। रसऋषि वाल्मिकी के बारे में ऐसे कोरे झूठ बंद होने चाहिए। अम्बेडकर, वाल्मिकी की बौद्धिकता और एकलव्य की प्रतिभा को स्वतंत्र रूप से स्वीकार न करना मानसिक विकार है।
प्रो. रामचंद्रप्पा ने कहा कि यह विडम्बना है कि जिन त्योहारों, जयंतियों को सौहार्द बढऩा चाहिए, वे संघर्ष के अवसरों में बदल गए हैं। जयश्रीराम नारे के जरिए भक्ति सडक़ पर आ गई है। यह वाल्मिकी की इच्छा नहीं है। सहनशीलता के प्रतीक शबरी, श्री राम और सीता के गुणों का विकास हमारे अंदर होना चाहिए। तभी रामायण के मूल्य जीवित रह सकेंगे।
महापौर के. चमन साब ने कहा कि इंडोनेशिया समेत कई मुस्लिम देशों में भगवान राम के मंदिर हैं। वाल्मिकी रामायण जीवन के लिए आवश्यक संदेश देता है।
सांसद डॉ. प्रभा मल्लिकार्जुन ने कहा कि ऐसी स्थिति नहीं बनानी चाहिए कि त्योहार पुलिस सुरक्षा में मनाए जाएं। यह वाल्मिकी रामायण के मूल्यों को कायम रखने वाला कार्य होना चाहिए।

फर्जी जाति प्रमाणपत्रों पर लगाएं रोक

वाल्मीकि समाज की जिला इकाई के अध्यक्ष बी वीरन्ना ने कहा कि अनुसूचित जाति के नाम पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र की भरमार बढ़ गई है। अन्य जाति के लोग फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर वाल्मिकी समाज का हिस्सा हड़प रहे हैं। जिलाधिकारी को इस पर ध्यान देना चाहिए। मदकरी नायक के वंशज होने के बावजूद समुदाय को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गरीबों को मेडिकल सीटें नहीं मिल पा रही हैं। अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण की राशि बढ़ानी चाहिए।
कार्यक्रम से पहले होंडद सर्कल स्थित राजवीर मदकरिनायक की प्रतिमा पर पुष्पमाला अर्पित की गई। बारिश के बीच निकला जुलूस शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए गुंडी महादेवप्पा कल्याण मंडप पहुंचा।
कार्यक्रम में एसएसएलसी परीक्षा में 98 फीसदी अंक प्राप्त करने वाली सोमेश्वर विद्यालय की छात्रा वाईएम सृजना को सम्मानित किया गया।
विधायक केएस बसवंतप्पा, उपमहापौर सोगी शांतकुमार, जिलाधिकारी जीएम गंगाधरस्वामी, जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुरेश बी इटनाल, अतिरिक्त जिलाधिकारी पीएन लोकेश, जिला अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ, नगर निगम की पार्षद मीनाक्षी, नेता गणेश हुलमनी, अंजनेय आदि उपस्थित थे।

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