सामूहिक देहत्याग की तैयारी कर रहे 5 लोग पुलिस हिरासत में, अस्पताल भेजे गए
अथणी (बेलगावी). कर्नाटक के बेलगावी जिले के अथणी तालुक के अनंतपुर गांव में अंधविश्वास के कारण एक बड़ा हादसा टल गया। एक ही परिवार के पांच सदस्यों ने 8 सितंबर को धार्मिक मान्यता और अंधविश्वास के चलते सामूहिक देहत्याग करने का निर्णय लिया था। समय रहते पुलिस और प्रशासन ने हस्तक्षेप किया और सभी को हिरासत में लेकर अस्पताल भेजा गया।
क्या है पूरा मामला?
अनंतपुर गांव की इरकर परिवार के पांच सदस्य – तुकाराम इरकर, उनकी पत्नी सावित्री, पुत्र रमेश, पुत्रवधू वैष्णवी और पुत्री माया शिंदे (निवासी कुडनूर, महाराष्ट्र) जो रामपाल महाराज के अनुयायी बताए जाते हैं। बीते 15 दिनों से पूरा परिवार धार्मिक गीत, भक्ति और अनुष्ठानों में डूबा हुआ था और 8 सितंबर को सामूहिक रूप से जीवन त्यागने की तैयारी कर चुका था।
ग्रामीणों की सूचना पर प्रशासन हरकत में आया और जिला प्रशासन, पुलिस विभाग, मठाधीशों तथा जनप्रतिनिधियों ने परिवार को समझाने का भरसक प्रयास किया। कुछ समय के लिए उनका निर्णय डगमगाता भी दिखा, परन्तु बाद में वे पुन: उसी स्थिति पर लौट आए।
प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई
स्थिति गंभीर होते देख रविवार को पुलिस और तहसील प्रशासन ने संयुक्त कार्रवाई की। परिवार के पांचों सदस्यों को हिरासत में लेकर पहले अनंतपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। इसके बाद उन्हें बेलगावी बिम्स अस्पताल और वहां से आगे इलाज के लिए धारवाड़ के डिम्हान्स अस्पताल भेज दिया गया।
तालुक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बसगौड़ा कागे ने कहा कि परिवार के सदस्य मानसिक रोग से पीडि़त हो सकते हैं। इस कारण उन्हें विशेषज्ञ उपचार के लिए डिम्हान्स रेफर किया गया है।
डीवाईएसपी प्रशांत मुन्नोल्ली ने बताया कि सभी को पुलिस सुरक्षा के साथ मानसिक उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया गया है। चिकित्सकों की सलाह पर यह कदम उठाया गया है।
अंधविश्वास और समाज पर सवाल
यह घटना केवल एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि यह समाज में अब भी मौजूद अंधविश्वास की गहरी जड़ों की ओर इशारा करती है। शिक्षा, तकनीक और आधुनिकता के बावजूद कई समुदायों में आज भी ऐसी मान्यताएं हावी हैं, जो कभी-कभी जानलेवा साबित हो सकती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में समाज को जागरूक करना, धार्मिक अंधविश्वास के खिलाफ शिक्षा अभियान चलाना और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाना बेहद जरूरी है।
बेलगावी की यह घटना प्रशासन और पुलिस की तत्परता से टल गई, परन्तु यह समाज के लिए एक गहरी चेतावनी है। यदि अंधविश्वास और मानसिक रोगों को समय रहते नहीं पहचाना गया, तो भविष्य में ऐसे और भी मामले सामने आ सकते हैं। अब आवश्यकता है सामूहिक प्रयासों की, ताकि अंधविश्वास जैसी कुरीतियों से समाज को मुक्ति दिलाई जा सके और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाई जा सके।
