विधान परिषद के सभापति बसवराज होरट्टी ने जताई नाराजगी
हुब्बल्ली. विधान परिषद के सभापति बसवराज होरट्टी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सदन में हुए घटनाक्रम से मैं हतप्रभ हूं। इसलिए इस पद पर बने रहने का कोई मतलब नहीं है। मुझे ऐसा लगने लगा है कि मुझे इस स्थिति में क्यों रहना चाहिए। वे इस बारे में मित्रों से चर्चा कर आगे का निर्णय लेंगे।
शहर में रविवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए होरट्टी ने कहा कि सदन में हाल की घटनाओं से वह मर्माहत हैं। सदन में कोई किसी का सम्मान नहीं करता है।
उन्होंने कहा कि उच्च सदन विचारकों का अड्डा है। देश के लिए एक आदर्श है। ऐसे उच्च सदन का सभापति होना सम्मान की बात है। मुझे लगता है कि यदि सदन नियमों के अनुसार नहीं चलाया जाता तो उस पद पर बने रहने का क्या मतलब है? इस लिए इस बारे में बात कर रहा हूं। मुझे नहीं पता कि निर्णय क्या होगा। मुझे नहीं पता कि मैं इस पद के योग्य हूं या नहीं, यह मेरी गलती है या किसी और की। मैं इसके लिए किसी को दोष नहीं देता।
होरट्टी ने कहा कि निलंबन एक अच्छी परंपरा नहीं है। आप कुछ दिनों के लिए निलंबित कर सकते हैं, परन्तु छह महीने के लिए निलंबित करना सही नहीं है। उनका भी विधायनसभा अध्यक्ष या सभापति की कुर्सी पर चढऩा उचित नहीं है। मैंने सी.टी. रवि और लक्ष्मी हेब्बालकार के मामलों में अपने अनुभव के आधार पर निर्णय लिया है।
सदन चलाना बहुत कठिन है। अगर हम उस पद पर बैठें और सदन का उन्होंने कहा कि संचालन ठीक से न करें तो हमें अयोग्य माना जाएगा। यद्यपि महत्वपूर्ण मामले होते हैं, फिर भी वे उनके अलावा अन्य चीजों के बारे में बात करते हैं। महत्वपूर्ण विधेयक बिना बहस के ही पारित किए जा रहे हैं। विधान परिषद में नियम है कि किसी भी प्रकार का जय-जयकार या उपहास नहीं करना चाहिए। फिर भी इसका पालन नहीं किया जा रहा है। यह मूकदर्शक बनकर वहां बैठकर ये चीजें देखने जैसा है।