मंत्री एचके पाटिल ने की आलोचना
हुब्बल्ली. विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने आलोचना करते हुए कहा कि जो लोग राज्य सरकार पर बसवेश्वर को कर्नाटक का सांस्कृतिक नेता घोषित करने की राजनीति का आरोप लगा रहे हैं, वे छोटी मानसिकता के हैं। शहर में रविवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए पाटिल ने कहा कि बसवन्ना ने मानव जाति को लोकतंत्र का विचार दिया। उनके मामले में, राजनीति घोलने वालों के दिमाग में केवल राजनीति ही है। आलोचकों ने कुछ नहीं किया। इसके चलते बेबुनियाद आरोप लगाते हैं। यह बात ठीक नहीं है। लोगों ने बसवन्ना को सांस्कृतिक नेता के रूप में नामित करने के सरकार के फैसले की सराहना की है। मठाधीश समेत सभी समुदायों के नेताओं ने बधाई दी है।
हानगल सामूहिक दुष्कर्म मामले की निंदा कर एसआईटी जांच की मांग को लेकर भाजपा के विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें विरोध करने का अधिकार है परन्तु सरकार हर चीज पर ध्यान रखते हुए कदम उठा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार मामले को संभालने में विफल नहीं हुई है। एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को इंडिया महासंघ का नेतृत्व करने का प्रस्ताव कर्नाटक के लोगों के लिए गर्व की बात है। न्यायाधीश सदाशिव आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आंतरिक आरक्षण के लिए संवैधानिक संशोधन की मांग करते हुए केंद्र को प्रस्ताव सौंपने का निर्णय लिया गया है।
बसवन्ना सांस्कृतिक नेता
विधान परिषद के सभापति बसवराज होरट्टी ने कहा कि विश्व में ही पहली बार “अनुभव मंडप” के माध्यम से लोकतंत्र की अवधारणा की शुरुआत कर सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक विचार को नई दिशा दिखाने वाले विश्वगुरु बसवन्ना को “राज्य का सांस्कृतिक नेता” घोषित करने के फैसला ऐतिहासिक है, जिसका हम स्वागत करते हैं।
होराट्टी ने मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या को पत्र लिखकर इस फैसले के लिए मुख्यमंत्री और सभी कैबिनेट मंत्रियों को बधाई दी है।
होरट्टी ने कहा कि राज्य कैबिनेट की बैठक में लिए गए इस फैसले से राज्य के लोगों में काफी खुशी है। 12वीं शताब्दी में अल्लम प्रभु और बसवादी शरणों की ओर से निर्मित, “अनुभव मंडप” संपूर्ण “विश्व का पहला विधानमंडल” है। यह लोकतंत्र की अवधारणा का मूल आधार है। समाज में असमानता को खत्म करने और सभी के लिए समान हिस्सेदारी का संदेश फैलाने की मौजूदा विचारधारा के तहत निर्मित, अनुभव मंडप ने लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ाने की नींव रखी है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने में एक प्रेरक शक्ति है। बसवादी शरण की ओर से रचित अनगिनत छंदों (वचनों) को भारतीय संविधान के लेखों में शामिल किया गया, जो गर्व की बात है। ऐसे महापुरुष को प्रदेश का प्रथम सांस्कृतिक नेता घोषित करना गौरव की बात है। पूर्व में सिद्धरामय्या ने ही खुद राज्य के सभी सरकारी दफ्तरों में बसवन्ना की तस्वीर लगाने का आदेश जारी किया था। अब कर्नाटक सांस्कृतिक नेता घोषित किया है। यह गर्व की बात है।