Urban drain has disturbed the sleep of the peopleहुब्बल्ली में देशपांडेनगर के रोटरी इंग्लिश मीडियम स्कूल परिसर में पानी घुसने से गीली किताबें सूख रही कर्मचारी।

पुल की ऊंचाई बढ़ाने की मांग
हुब्बल्ली. देशपांडेनगर के आस-पास के इलाकों में बादल छाने और बिजली कडक़ने के साथ ही लोगों की चिंता बढऩे लगती है।। यहां दो सप्ताह पहले हुई भारी बारिश के कारण शहरी नाले का कचरा उफान पर आने से अफरा-तफरी मच गई थी।
हुब्बल्ली धारवाड़ महानगर निगम के वार्ड संख्या 57 में कामाक्षी मंदिर से लेकर शारदा होटल तक सीवेज का पानी कम से कम 4 फीट की ऊंचाई तक जमा हो गया था। पानी कम होने के 10 दिनों के बाद भी इस इलाके में कचरे की दुर्गंध अभी तक खत्म नहीं हुई है।

4 से 5 फीट के गंदा पानी हुआ जमा
सवनूर बिल्डिंग, देशपांडे नगर, कॉटन मार्केट, होसूर के होटल, दुकान, घर, कॉम्प्लेक्स, अपार्टमेंट में 4 से 5 फीट के गंदा पानी जमा हो गया था, उस दिन का अनुभव इस क्षेत्र के निवासियों की नींद हराम कर दिया है। नहर का गंदा पानी नहर के बगल में स्थित रोटरी इंग्लिश मीडियम स्कूल के परिसर में घुस गया और 4 फीट तक जमा हो गया। इससे अलमारी, वार्डरोब के निचले हिस्से में रखी सूचना फाइलें, पुस्तकें पानी में भीगकर बर्बाद हुई हैं।

नगर निगम के वाहन को दें कचरा
वार्ड पार्षद मीनाक्षी वंटमूरी और निवासियों का आरोप है कि यहां के शहरी नाला का अवैज्ञानिक निर्माण इस सारी अव्यवस्था का कारण है।
मीनाक्षी वंतमुरी ने कहा कि शहरी नाला के निर्माण में जनता की भी भूमिका है। हर कहीं से कूड़ा-कचला बांधकर नाले में फेंकने से नाला कूड़े-कचरे से भर जाता है। इसलिए, जनता को नाले में कचरा नहीं फेंकना चाहिए और इसे नगर निगम के वाहन को देना चाहिए।

आवासीय इलाके में फैलता है गंदा पानी
देशपांडेनगर निवासी अनंत गाणिगेर का कहना है कि 50 साल पहले निर्मित इस नाले का क्षेत्र देशपांडेनगर और विश्वेश्वरनगर तक ही सीमित था। पिछले कुछ वर्षों में, आवासीय क्षेत्र बढ़ गए हैं और 30 आवासीय क्षेत्र बने हैं। कचरे और प्लास्टिक से भरी नाले में गंदा पानी रुकने के कारण मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल बन गया है। बारिश होने पर नाले में जो पानी बहना चाहिए वह उफनकर वापस पूरे आवासीय इलाके में फैल जाता है।

पानी बहकर निकलने का कोई रास्ता नहीं
निवासियों ने बताया कि शहरी नाला शुरुआती दिनों में 10 फीट गहरा था, नगर निगम की ओर से पर्याप्त रखरखाव नहीं करने से नाले का तल प्लास्टिक, कचरा और गाद से भर गया है। पुल अवैज्ञानिक तरीके से बनाने, बीएसएनएल के 16 पाइप लगााने से पानी बहकर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। ताजा उदाहरण के तौर पर पुल पर खड़े होकर फेंका गया एक अस्पताल का कचरा, इस्तेमाल की गई सीरिंज नाले पर बीएसएनएल पाइप पर पाए गए।

मेडिकल कचरा खतरनाक
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि पानी या मिट्टी में चिकित्सा अपशिष्ट के शामिल होने के कारण, यह भूजल में प्रवेश करेगा और बोरवेल के माध्यम से मानव और पशु शरीर में प्रवेश करने की संभावना है। ये खतरनाक हो सकता है। कानून के मुताबिक, मेडिकल कचरे को सार्वजनिक स्थान पर हर कहीं फेंकना और पानी में फेंकना अपराध है।

अस्पताल का लाइसेंस रद्द किया जाएगा
मेडिकल कचरे को वैज्ञानिक तरीके से जलाए बिना पानी में फेंकने का बारे में पता चलने पर रियो ग्रीन एनर्जी एंड पॉल्यूशन बोर्ड को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अस्पताल का लाइसेंस रद्द किया जाएगा।
बीएम मल्लिकार्जुन, कार्यकारी अभियंता, हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम

पुल की ऊंचाई बढ़ाएं
शहरी नाला पर बने पुल को और ऊंचा कर हर साल नाले की सफाई करनी चाहिए। तभी पानी सुचारू रूप से बहेगा और समस्या का समाधान होगा।
मीनाक्षी वंटमूरी, पार्षद, वार्ड संख्या 52, हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम

समस्या के समाधान को प्राथमिकता
हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम क्षेत्र में शहरी नाले का रखरखाव का काम पहले ही शुरू किया गया है। समस्या का यथाशीघ्र समाधान करने को प्राथमिकता दी जाएगी।
डॉ. ईश्वर उल्लागड्डी, आयुक्त, हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम

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