कपास की दरें बढ़ने का पड़ने लगा बुरा असरराज्य की सूत गिरणियां बंद होने की नौबत

कोल्हापुर. कपास की कमी के चलते दक्षिण भारत की कई सूतगिरणी बंद हो गई है। कपास की नई फसल आने तक सूतगिरणी बंद रखी जाएगी। ऐसे में महाराष्ट्र की कई निजी और सहकारी सूत गिरणी बंद करने की मांग सूतगिरणी के कई चालकों ने राज्य वस्त्रोद्योग महासंघ के अध्यक्ष अशोक स्वामी की ओर की है।

सूत की कमी का निकालें रास्ता

सूत की बड़े पैमाने पर होने वाली कमी के चलते पावरलूम उद्योग पूरी तरह ठप होने की आशंका है। इस का हल निकालने के लिए जल्द ही बैठक का आयोजन करें यह मांग इचलकरंजी पावरलूम एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश कोष्टी ने की है। इसके बारे में केंद्रीय वस्त्रोद्योग मंत्री, केंद्रीय सचिव, केंद्रीय वस्त्रोद्योग आयुक्त, महाराष्ट्र के वस्त्रोद्योग मंत्री, राज्यमंत्री, सचिव, सहसचिव और वस्त्रोद्योग आयुक्त को भेजी गई है।

मंत्री शेख से करेंगे भेंट

इस बात को लेकर महाराष्ट्र के सूतगिरणी चालक वस्त्रोद्योग मंत्री असलम शेख से शिष्टमंडल से एक-दो दिन में मिलनेवाले है। शासन स्तर पर कुछ तो मदद मिलेगी। उसके बाद ही सूतगिरणी बंद करने के बारे में फैसला लिया जाएगा।

समस्या में फंसी सूतगिरणी

कपास की दर में हो रही अनियंत्रित बढ़ोतरी के चलते महाराष्ट्र की सूतगिरणी समस्या में फंसी हुई है। इस बढ़ोतरी का असर पावरलूम उद्योग पर हो रहा है। देश में कपास का उत्पादन कम होने के चलते यह स्थिति पैदा हुई है। कई व्यापारी हालात का फायदा उठाते हुए कृत्रिम टंचाई पैदा कर कपास की दर में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी की जा रही है।

अब खुले बाजार में की कपास बिक्री

कपास का दर विक्रमी ऐसा एक लाख दस हजार रुपए प्रति खंडी इतना हुआ है। इसके चलते आने वाले कुछ दिनों में महाराष्ट्र की सूत गिरणी बंद करने के हलचलें चल रही है। इसका असर पूरे वस्त्रोद्योग पर होने की संभावना है। केंद्र सरकार ने कपास उत्पादक किसानों के लिए भाव प्रति क्विंटल 6 हजार 50 रुपया तय किया है लेकिन खुले बाजार में किसानों को 13 हजार रुपए मिलने के चलते किसान अपना कपास निजी व्यापारियों को बिक्री कर रहे हैं। आनेवाले कुछ दिन में बारिश को शुरुआत होगी। ऐसे में किसानों ने सभी कपास की बिक्री खुले बाजार में की है।

संकट का सामना कर रहा पावरलूम उद्योग

सूतगिरणी व्यवस्थापना कपास की खरीदारी के लिए बाजार में घूम रहा है लेकिन बाजारपेठ में कपास की किल्लत हो रही है। अब सूत गिरणियों की ओर कुछ ही दिन की कपास है। इस स्थिति में बदलाव होगा ऐसा अब कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। कपास व्यापारियों की ओर से कपास की कृत्रिम किल्लत की जा रही है। ऐसे में जून से महाराष्ट्र की सूतगिरणी बंद होने लगेगी ऐसी जानकारी है। गए सालभर में कपास की दर में बड़े पैमाने पर बढोतरी होने के चलते सूत की दर में बढोतरी हुई है। यह बढोतरी 70 फीसदी से 110 फीसदी तक है। इतने बड़े पैमाने पर दर बढऩे के चलते कपड़े की दर में नैसर्गिक बढोतरी होनी थी लेकिन उसी तरह कपड़े को बाजारपेठ में दर नहीं मिल रहा है जिससे पावरलूम उद्योग बड़े संकट का सामना कर रहा है।

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