विधानसभा चुनाव – 2023
नवलगुंद निर्वाचन क्षेत्र
हुब्बल्ली.
किसान विद्रोह के गढ़ नवलगुंद में अब चुनावी पारा चढ़ गया है। भाजपा के वर्तमान विधायक शंकर पाटिल मुनेनकोप्पा, कांग्रेस के पूर्व विधायक एन.एच. कोनरड्डी के बीच जमकर मुकाबला हो रहा है। आखिरी समय में जेडीएस से चुनाव लड़ रहे के.एन. गड्डी के कांग्रेस प्रत्याशी की दौड़ में बाधा बनने की संभावना है।
पंचमसाली लिंगायत समुदाय के शंकर पाटिल मुनेनकोप्पा और रेड्डी लिंगायत समुदाय के एनएच कोनरड्डी चौथी बार आमने-सामने हैं। मुनेनकोप्पा ने 2008 में जीत हासिल की थी परन्तु अगले चुनाव 2013 में कोनरड्डी ने जीता हासिल की थी। मुनेनकोप्पा ने फिर से 2018 में जीत हासिल की थी। इन दोनों के बीच प्रतिद्वंद्विता है। अब 2023 में कौन जीतेगा? बारी की तरह क्या कोनरड्डी जीतेंगे? या इस बारी को तोडकऱ लगातार दूसरी बार क्या मुनेनकोप्पा जीत हासिल करेंगे इसे लेकर जिज्ञासा बनी हुई है।

महदायी आंदोलन में थे सबसे आगे
पिछला चुनाव जीतने वाले मुनेनकोप्पा हथकरघा और चीनी मंत्री बने। उन्हें रायचूर जिले का प्रभार भी दिया गया था। इस वजह से उनका ज्यादातर समय रायचूर में ही बीतता था। क्षेत्र के लोगों की शिकायत है कि उन्हें स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे। शहर की मुख्य सडक़ें अच्छी हैं परन्तु ग्रामीण क्षेत्रों की सडक़ें बदहाल हैं। पेयजल की समस्या जस की तस बनी हुई है। महदायी का पानी लाने का वादा पूरा नहीं किया है। मुनेनकोप्पा को मिलने वाले वोटों पर इसका असर पडऩे की संभावना है।
उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे कोनरड्डी 5वीं बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। उन्होंने पिछले सभी चुनावों में जेडीएस से चुनाव लड़ा था। वह 2013 में केवल एक बार जीते थे। उस समय, सिद्धरामय्या के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में अधिक अनुदान लाकर निर्वाचन क्षेत्र का विकास किया। महदायी आंदोलन में सबसे आगे थे। जेल जाना और पुलिस की ओर से लाठी की मार खाना लोगों को याद करते हैं।

कोनरड्डी के लिए एक प्लस पॉइंट
कोनरड्डी जेडीएस छोड़ कर सिद्धरामय्या के माध्यम से कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी का टिकट हासिल करने में सफल रहे। इससे अन्य दावेदारों में असंतोष पैदा हुआ। उनमें से कुछ को पार्टी नेताओं ने शांत किया। मुख्य रूप से कुरुबा समुदाय के विनोद असूटी को शांत किया है। विनोद असूटी ने 2018 में कांग्रेस से चुनाव लड़ा था। उन्होंने 38,906 वोट हासिल करने के साथ कड़ी टक्कर दी थी। उन्हें युवा मतदाताओं का पर्याप्त समर्थन प्राप्त है। इसे समझते हुए वरिष्ठों ने पार्टी के सत्ता में आने पर निगम/मंडल के अध्यक्ष का पद देने का वादा किया है। इसके चलते विनोद असूटी कोनरड्डी के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं। यह कोनरड्डी के लिए एक प्लस पॉइंट है।

किसे समर्थन देंगे इसका खुलासा नहीं किया
कांग्रेस टिकट के दावेदार एक अन्य नेता कुरुबा समुदाय के पूर्व विधायक के.एन. गड्डी आखिरी वक्त में जेडीएस में शामिल हुए और मैदान में उतरे। वे अपने समुदाय के कुछ वोटों को आकर्षित करने में सक्षम हैं। इससे कांग्रेस उम्मीदवार के वोट पर मार पडऩे की संभावना है। इसी समुदाय के शिवानंद करिगार भी कांग्रेस टिकट के दावेदार थे। उन्हें टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय सदस्य के तौर पर नामांकन दाखिल किया था। के.एन. गड्डी के जेडीएस से चुनाव लडऩे के बाद अपना नामांकन वापस लिया। वहीं वे किसे समर्थन देंगे इसका खुलासा नहीं किया है। इसे लेकर जिज्ञासा बनी हुई है।
अखाड़े में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होने के बाद भी के.एन. गड्डी की ओर से आकर्षित किए जाने वाले वोटों पर परिणाम निर्भर है।

मतदाताओं की संख्या
पुरुष – 1,03,964
महिला – 1,01,407
अन्य- 6
कुल – 2,05,377

2018 के परिणाम
पार्टी – उम्मीदवार – प्राप्त वोट – प्रतिशत
भाजपा – शंकरपाटिल मुनेनकोप्पा – 65,718 – 41.19
जेडीएस- एनएच कोनरड्डी – 45,197 – 28.33
कांग्रेस – विनोद असूटी – 38.906 – 24.33
निर्दलीय – शिवानंद करिगार – 4555 – 2.85

2013 परिणाम
जेडीएस – एनएच कोनरड्डी – 44448 – 32.26
भाजपा – शंकर पाटिल मुनेनकोप्पा – 41779 – 30.42
कांग्रेस – के.एन. गड्डी – 30780 – 22.41
निर्दलीय- शिवानंद करिगार – 8901 – 6.48

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *