आठ महीनों में कुत्तों के काटने की 17,392 घटनाएं, चार की मौतआवारा कुत्ते

कुत्ते-बिल्ली काटने से गंवाई जान
शिवमोग्गा. मलेनाडु में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ गया है। जनवरी से अगस्त के अंत तक शिवमोग्गा जिले में 17,392 लोगों को कुत्तों ने काटा है।
चौंकाने वाली बात यह है कि इस साल जिले में कुत्ते और बिल्ली के काटने से घातक रेबीज संक्रमण से चार लोगों की मौत हो चुकी है।
रेबीज के खिलाफ लड़ाई में हमेशा शीर्ष पर रहने वाले स्वास्थ्य विभाग के लिए यह एक झटका है। 2022 में 19,593 लोगों को कुत्तों ने काटा था और एक की मौत हुई थी।

मृतकों की उम्र 35 साल से कम थी
शिवमोग्गा तालुक के आयनूर और सागर में बिल्ली के काटने से एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि शिकारीपुर और होसनगर में कुत्तों के काटने से दो लोगों मौत हुई। सभी मृतकों की उम्र 35 साल से कम थी। घर में अपने पालतू बिल्लियों और कुत्तों से प्यार करने वाले ही रेबीज संक्रमित का शिकार हुए हैं।

एक छोटी सी लापरवाही से उनकी जान चली गई
स्वास्थ्य विभाग के जिला सर्वेक्षण अधिकारी डॉ. नागराज नायक का कहना है कि कुत्ते-बिल्ली के काटने से मरने वाले चारों को रेबीज का टीका नहीं लगा था। सागर में स्वास्थ्य विभाग के एक प्रयोगशाला तकनीशियन को घरेलू बिल्ली ने काट लिया। यह तो हमारी ही पाली बिल्ली है जानकार उन्होंने टीका नहीं लगवाया। एक छोटी सी लापरवाही से उनकी जान चली गई।

पालतु जानवरों को भी अनिवार्य रूप से लगवाएं टीका
उन्होंने बताया कि रेबीज से संक्रमित होने पर मृत्यु निश्चित है। दो से तीन दिन में मरीज की मौत हो जाती है। रेबीज किसी भी जानवर के काटने से फैल सकता है। 97 फीसदी रेबीज कुत्ते के काटने से होता है, जबकि शेष 3 प्रतिशत बिल्ली और जंगली जानवरों के काटने से होता है। जनता को इसके प्रति जागरूक होना चाहिए। जो लोग कुत्ते या बिल्लियां पालते हैं और पालतू जानवरों के निकट संपर्क में रहते हैं, उन्हें रेबीज के टीके की तीन टीके लगवाने चाहिए। हर छह महीने में एक बूस्टर डोज लेनी चाहिए। साथ ही पालतु जानवरों को भी अनिवार्य रूप से टीका लगवाना चाहिए।

एंटी-रेबीज टीका लगाना चाहिए
डॉ. नागराज ने बताया कि कुत्ता-बिल्ली समेत किसी भी जानवर के काटने पर पहले उस जगह को साबुन या डिटॉल से अच्छी तरह धोना चाहिए। वहां कोई पट्टी बांधना उचित नहीं है। झोलाछाप डॉक्टर के पास जाने के बजाय, सात दिनों के भीतर एंटी-रेबीज टीका लगाना चाहिए।

सावधानी बरतनी चाहिए
भोजन की कमी होने पर आवारा कुत्तों सहित जानवर अक्सर लोगों पर हमला कर देते हैं। हिंसक स्वभाव, पागलपन के कारण लोगों पर हमले भी होंगे। कभी-कभी समूहों के बीच संघर्ष के कारण, बच्चों की सुरक्षा के डर से वे लोगों को काट सकते हैं। या फिर निकट संपर्क के दौरान प्राकृतिक रूप से काटने की संभावना रहती है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग की चिंता यह है कि जनता को सावधानी बरतनी चाहिए।

शिकारीपुर में पागल कुत्ते ने 41 लोगों को काटा

जिले के शिकारीपुर में 28 सितंबर को पागल कुत्ते ने 41 लोगों को काटा था। यह इस साल एक ही दिन में सबसे ज्यादा लोगों को कुत्ते के काटने का रिकॉर्ड है। मार्केट में हर किसी को काटने वाले कुत्ते का पीछा करने वाले लोगों ने उसे वहां के अस्पताल परिसर में ही पीट-पीटकर मार डाला। कुत्ते की ओर से काटे गए लोगों में कूल से घर जा रहे दो बच्चे भी शामिल थे। कुत्तों की ओर से काटे गए सभी लोगों को शहर के अस्पताल में लाकर रेबीज हीमोग्लोबिन का टीका लगाया गया। ऑटो रिक्शा में प्रचार कर जागरूकता पहुंचाई है।

जानवरों के काटने से दूर रहें
रेबीज रोग होने पर मृत्यु निश्चित है। इसलिए सभी को कुत्ते व अन्य जानवरों के काटने से दूर रहना चाहिए। न केवल काटने पर, बल्कि खरोंच पर भी एंटी-रेबीज टीका अनिवार्य तौर पर लगवाना चाहिए।
डॉ. नटराज, जिला स्वास्थ्य अधिकारी

जिले में कुत्ता काटने के मामले की जानकारी
वर्ष — मामले — मौत
2019 — 13,711 — शून्य
2020 — 13,360 — शून्य
2021 — 14,839 — शून्य
2022 — 19,593 — 01
2023 — 25,764 — शून्य
2024 अगस्त तक) — 17,932 — 04

 

 

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