सेक्स वर्करों को मुख्यधारा में लाना बना चुनौती
हुब्बल्ली. विभिन्न कारणों से सेक्स वर्कर (यौनकर्मी) बनने वालों को मुख्यधारा में लाने के प्रयास चल रहे हैं, परन्तु सरकार से सीमित वित्तीय सहायता के कारण यह एक चुनौती बन गई है।
राज्य सरकार की चेतना योजना के तहत, उत्पीडि़त महिलाओं के रूप में पहचानी जाने वाली यौनकर्मियों को पहले 25,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि के साथ 25,000 रुपए का ब्याज मुक्त ऋण समेत कुल 50,000 रुपए की सहायता मिलती थी।
72 यौनकर्मियों को 21.65 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी
कोविड संकट के बाद 30,000 रुपए की एकमुश्त प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। इससे उनके वित्तीय और भौतिक लक्ष्य में वृद्धि नहीं होने के कारण अधिकांश लोग इस योजना के लाभ से दूरी बनाए हुए हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 से 2024-25 तक कुल 72 यौनकर्मियों को 21.65 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई है।
आवश्यक कदम उठाने चाहिए
मानवाधिकार कार्यकर्ता इसाबेल्ला जेवियर ने कहा कि यदि यौनकर्मियों को मुख्यधारा में लाने की सरकार की महत्वाकांक्षा सफल होनी है, तो सहायता की मात्रा बढ़ानी चाहिए। समाज के सामने खुद को यौनकर्मी नहीं हैं कहने की स्थिति उत्पन्न हो, तो उन्हें सम्मानजनक जीवन प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
मासिक वजीफा देने की व्यवस्था लागू करें
उन्होंने कहा कि महिलाओं के सुविधा केन्द्रों को बंद करने तथा महिलाओं के लिए आवंटित छोटे बजट में भी कटौती करने का सरकार का कदम सही नहीं है। निरक्षर, असुरक्षित और किसी का समर्थन नहीं है ऐसे यौनकर्मियों पर एक व्यापक सर्वेक्षण करने की आवश्यकता है। सरकार को उनसे परामर्श करना चाहिए। उनके लिए एक समिति बनानी चाहिए। स्वास्थ्य समस्याओं से पीडि़त लोगों को मासिक वजीफा देने की व्यवस्था भी लागू करनी चाहिए।