कोल्हापुर. अमरीका के राष्ट्रपति की ओर से भारत से आयात होने वाले वस्त्रों पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की घोषणा ने देशभर के उद्योग क्षेत्र में हलचल मचा दी है। इस निर्णय से विशेषकर वस्त्र उद्योग में चिंता का माहौल बन गया है, क्योंकि अमरीका भारत के वस्त्र उत्पादों के लिए एक प्रमुख बाजार रहा है।
कोरोना महामारी के बाद के कुछ वर्षों में वस्त्र उद्योग पहले ही कई चुनौतियों से जूझ रहा था। पिछले कुछ महीनों से सरकारी योजनाओं और कारोबार में तेजी के चलते इस क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव दिखाई दे रहा था परन्तु अमेरीका के इस फैसले ने फिर से अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है।
इससे पहले भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार समझौतों ने उद्योग को राहत दी थी और एक सकारात्मक वातावरण बना था परन्तु अमरीका की ओर से 25 प्रतिशत टैरिफ लागू करने से वह उत्साह क्षणिक ही रहा। पहले अमरीका केवल 4 प्रतिशत से 6 प्रतिशत के बीच आयात शुल्क वसूलता था, जिससे कंपनियों को 2-3 प्रतिशत लाभ मिलता था परन्तु अब नया कर दर कारोबार को नुकसान की ओर धकेल सकती है।
भारत कपास उत्पादन में अग्रणी देश है, और यहां से कपास, धागा, ग्रे कपड़ा और रेडीमेड गारमेंट अमरीका को बड़े पैमाने पर निर्यात किए जाते हैं। इसके अलावा वस्त्र उद्योग से जुड़ी सहायक सामग्रियां भी निर्यात होती हैं। अब इन सभी उत्पादों पर अधिक आयात शुल्क लगने से भारतीय निर्यातकों को अमरीका में कारोबार करना घाटे का सौदा साबित हो सकता है।
उद्योग जगत की मांग है कि केंद्र सरकार अमरीका के इस फैसले पर तत्काल रणनीतिक कदम उठाए और संभावित नुकसान की भरपाई के लिए वैकल्पिक बाजार तलाशे।