निर्यात में राज्य में दूसरे स्थान पर खिसका दक्षिण कन्नड़ जिलामेंगलूरु स्थित एमआरपीएल इकाई।

बेंगलूरु शहरी जिला प्रथम स्थान पर
मेंगलूरु. राज्य के निर्यात सूचकांक में वित्तीय वर्ष 2022-23 में शीर्ष पर रहा दक्षिण कन्नड़ जिला 2023-24 में गिरावट देखी गई है। यह जिला 30 जिलों में दूसरे स्थान पर है। बेंगलूरु शहरी जिला ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
कोलकाता के वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी निदेशालय (डीजीसीआईएस) और बेंगलूरु के विश्वेश्वरैया व्यापार संवर्धन केंद्र (वीटीपीसी) की एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023-24 में बेंगलूरु शहरी जिला 67,795.75 करोड़ रुपए के उत्पादों का निर्यात किया है जबकि दक्षिण कन्नड़ ने 55,968.46 करोड़ रुपए के उत्पाद विदेश भेजे हैं। पिछली बार बेंगलूरु शहरी जिले की निर्यात राशि 63,950 करोड़ रुपए थी और दक्षिण कन्नड़ की निर्यात राशि 69,395 करोड़ रुपए थी।
वीटीपीसी की रिपोर्ट में कहा है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में, बेंगलूरु ने एयरोस्पेस और अंतरिक्ष यान स्पेयर पार्ट्स उत्पादों, फार्मा, खादी शर्ट और एक्स-रे ट्यूबों के निर्यात पर हावी रहा, जबकि दक्षिण कन्नड़ ने विमानन ईंधन, उच्च गति वाले डीजल तेल, सहित पेट्रोलियम उत्पादोंखनिज ईंधन और इसके उत्पादों का निर्यात किया।
दक्षिण कन्नड़ में गिरावट का कारण मेंगलूरु रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) और कुद्रेमुख आयरन एंड ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) में उत्पादन में कमी बताया गया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में कर सहित एमआरपीएल को 682.32 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार एमआरपीएल के अधिकारियों ने बताया कि तेल की कीमत 2023 में 92 डॉलर प्रति बैरल थी जो 2024 में गिरकर 80 डॉलर हो गई थी। दक्षिण कन्नड़ के कुल निर्यात में एमआरपीएल का योगदान 90 प्रतिशत है। वार्षिक 3.5 मिलियन टन लौह अयस्क पेलेट बनाने की क्षमता वाला केआईओसीएल पेलेट संयंत्र नौ महीने से बंद है।
केआईओसीएल ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लौह अयस्क की कीमत 140 डॉलर प्रति टन थी, अब गिरकर 95 डॉलर हो गई है। इसका पेलेट उत्पादन इकाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। देवगिरी में अयस्क खनन फिर से शुरू करने के लिए मिनीरत्न कंपनी को राज्य सरकार की ओर से अनुमति नहीं देना भी समस्या का एक कारण है।

केआईओसीएल का एनएमडीसी के साथ विलय?

वीटीपीसी के मुताबिक भारतीय इस्पात मंत्रालय देश के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक और केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रम, राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) के साथ कुद्रेमुख लौह अयस्क कंपनी का विलय करने का प्रस्ताव करने वाला है। इससे दक्षिण कन्नड़ जिले के निर्यात सूचकांक में वृद्धि होने की उम्मीद है।

4 प्रतिशत कम
डीजीसीआईएस के मुताबिक 2023-24 में केआईओसीएल का उच्च श्रेणी के पेलेट का उत्पादन 1.906 मिलियन टन है, जिससे कुल 1854.34 करोड़ रुपए राजस्व प्राप्त हुआ था। उस समय के दौरान 83 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। भारत ने जनवरी से अक्टूबर 2024 तक 32,249,163 टन लौह अयस्क का निर्यात किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4 प्रतिशत कम है।

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