Expensive fees in private schools, violation of rulesनिजी स्कूल में महंगी फीस, नियमों का उल्लंघन

अभिभावक कर रहे स्कूल शिक्षा विभाग के दिशा निर्देशों के पालन की मांग
हुब्बल्ली. वर्ष 2024-25 की शैक्षणिक गतिविधियों के लिए पूरक तौर पर जिले में सरकारी और निजी स्कूलों में बच्चों की नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन और सुविधाएं सभी मुफ्त हैं, जबकि निजी स्कूलों ने सुविधाओं के अनुसार फीस तय की है।
शिक्षा विभाग ने सभी निजी शिक्षण संस्थानों को बच्चों के नामांकन को लेकर फीस शेड्यूल समेत कुछ नियमों का पालन करने का निर्देश दिया है परन्तु कुछ क्षेत्रों में इनका पालन नहीं करने के आरोप हैं।

सुरक्षा जमा की आड़ में पैसे ले रहे हैं

एक लडक़ी के अभिभावक रामन्ना हिरेमठ ने शिकायत की कि कुछ निजी स्कूल बच्चों के नामांकन शुल्क के अलावा सुरक्षा जमा की आड़ में अभिभावकों से कुछ पैसे ले रहे हैं। यदि बच्चे स्कूल के उपकरण और फर्नीचर को नुकसान पहुंचाते हैं, तो उन्हें आपकी जमा राशि से लागत लेकर और शेष राशि का भुगतान वर्ष के अंत में किया जाएगा कहकर बच्चों का नामांकन कर रहे हैं।

अधिक पैसे वसूलना ठीक नहीं

एक अभिभावक एस.आर. कृष्णमूर्ति ने आरोप लगाया कि निजी स्कूलों का कहना है कि पहली कक्षा की फीस 32 हजार रुपए है। कटौती करने का अनुरोध करने पर भुगतान किश्तों में करने को कहते हैं परन्तु फीस का विवरण स्कूल के नोटिस बोर्ड पर नहीं लगाया है। स्कूल की सुविधाओं और पढ़ाई के हिसाब से फीस तय कर इसे नोटिस बोर्ड पर लगाने से सभी को फायदा होगा। नियमों का उल्लंघन कर अभिभावकों से अधिक पैसे वसूलना ठीक नहीं है।

फीस में बढ़ोतरी अनिवार्य

एक निजी स्कूल के प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि हमें सरकार की ओर से कोई सब्सिडी नहीं मिलती है। हर वर्ष विद्यालय के विकास के साथ-साथ बच्चों को आवश्यक सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती हैं। शिक्षकों की भर्ती और वेतन देना पड़ता है। इसलिए फीस में बढ़ोतरी अनिवार्य है।

सख्त निर्देश दिया जाएगा

जिले में 88 अनुदान रहित जूनियर प्राइमरी स्कूल, 112 सीनियर प्राइमरी स्कूल और 402 हाई स्कूल हैं और अधिकांश स्कूलों ने अपनी वेबसाइट और विभाग की वेबसाइट पर फीस का विवरण दर्ज नहीं किया है। जिले के निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों के साथ दोबारा बैठक कर उन्हें स्कूल फीस निर्धारण के संबंध में नियमों का पालन करने का सख्त निर्देश दिया जाएगा।
एसएस केलदीमठ, उप निदेशक, स्कूल शिक्षा विभाग, धारवाड़

नियम के उल्लंघन पर कार्रवाई
सार्वजनिक शिक्षा विभाग के उप निदेशक एसएस केलादीमठ का कहना है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 और कर्नाटक अनिवार्य एवं मुफ्त प्राथमिक शिक्षा का अधिकार नियम-2012 के अनुसार जिले के सभी निजी अनुदान रहित स्कूलों को अपने स्कूल की वेबसाइट, नोटिस बोर्ड और शिक्षा विभाग की वेबसाइट (एसएटीएस) पर अपने स्कूल की सुविधाओं सहित ट्यूशन शुल्क को जनता और अभिभावकों के लिए उपलब्ध कराने के लिए प्रकाशित करना चाहिए। साथ ही छात्रों की नामांकन प्रक्रिया एवं शुल्क वसूली के संबंध में शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 2(बी) एवं धारा 13 के प्रावधानों का अनिवार्य रूप से पालन करना चाहिए। उल्लंघन करने पर संबंधित स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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