इस क्षेत्र के लोगों में जगी नई उम्मीद
लोगों में व्यापक उत्साह देखा जा रहा है
कारवार. दो दशकों से अधर में लटकी हुई, तटीय और मलेनाडु क्षेत्र की जनता की बहुप्रतीक्षित हुब्बल्ली-अंकोला रेलवे परियोजना अब साकार होने के करीब है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद इस परियोजना को मंजूरी मिलने की घोषणा की है, जिससे इस क्षेत्र के लोगों में नई उम्मीद जगी है।
इस 163 किलोमीटर लंबी दोहरी रेल लाइन को मंजूरी मिल चुकी है और परियोजना से जुड़े सभी अड़चनें दूर हो चुकी हैं। रेलवे ट्रैक के नए सर्वेक्षण कार्य पूरे हो चुके हैं और आवश्यक परियोजना रिपोर्ट भी जमा की जा चुकी है। इस महत्वपूर्ण परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 17,000 करोड़ रुपए है।
दशकों का संघर्ष और रुकावटें
हुब्बल्ली-अंकोला रेलमार्ग सिर्फ एक परिवहन परियोजना नहीं, बल्कि उत्तर कर्नाटक और तटीय कर्नाटक के बीच आर्थिक और सामाजिक सेतु माना जाता है। इसके बाद भी बीते दो दशकों में यह परियोजना कई बार पर्यावरणीय कारणों और विरोधों के चलते ठप हो गई थी। खासकर प्रस्तावित मार्ग पश्चिमी घाट के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र से होकर गुजरता है, जिसके चलते पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जंगलों की कटाई और जैव विविधता पर खतरे को लेकर इसका विरोध किया। इस कारण योजना कई बार अनुमति नहीं मिलने से लंबित पड़ी थी।
प्रमुख घटनाक्रम
इस परियोजना का पहला प्रस्ताव और सर्वेक्षण 2000 के दशक की शुरुआत में हुआ था। इसके बाद परियोजना पर बार-बार विरोध, जनआंदोलन और पर्यावरणीय अनुमतियों की मांग को लेकर प्रक्रियाएं चलीं। इसके चलते सुरंग मार्ग जैसे वैकल्पिक विकल्पों पर विचार किया गया। अब केंद्रीय रेल मंत्री की हालिया घोषणा से साफ हो गया है कि सभी अड़चनों को हटाकर परियोजना को हरी झंडी मिल चुकी है। इससे तटीय और मलेनाडु क्षेत्रों में व्यापक उत्साह देखा जा रहा है।
संभावित लाभ
एक बार यह रेल लाइन शुरू हो जाए, तो यह तटीय बंदरगाहों को उत्तर कर्नाटक के औद्योगिक क्षेत्रों से जोडऩे वाली महत्वपूर्ण कड़ी बनेगी। इससे माल परिवहन, पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। यह दशकों पुराना सपना साकार होने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
जनता का सपना साकार हुआ
पूर्व विधायक रूपाली एस. नाइक ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह इस क्षेत्र की वर्षों पुरानी मांग थी, जिसके लिए लोगों ने संघर्ष और प्रदर्शन किया था। अब जनता का सपना साकार हुआ है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और राज्य मंत्री वी. सोमन्ना सहित सभी जनप्रतिनिधियों को धन्यवाद दिया।
विकास को नई ताकत मिलेगी
विधायक शिवराम हेब्बार ने कहा कि यह परियोजना तटीय कर्नाटक और उत्तर कर्नाटक के बीच तेज और सीधा संपर्क स्थापित करेगी। व्यापार, लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक विकास को इससे नई ताकत मिलेगी।
क्षेत्र की प्रगति में मील का पत्थर साबित होगी
रेलवे मंत्रालय ने कुल 42,517 करोड़ रुपए की लागत से 3,264 किमी लंबी 25 बड़ी परियोजनाओं की घोषणा की है, जिसमें यह भी शामिल है। राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में यह मंजूरी सार्वजनिक की गई। हुब्बल्ली-अंकोला रेलवे लाइन की मंजूरी एक ऐतिहासिक फैसला है जो हजारों लोगों के लंबे समय से देखे जा रहे सपने को साकार करने जा रही है। यह परियोजना क्षेत्र की प्रगति में मील का पत्थर साबित होगी।