इंधन अधिभार से प्रति यूनिट दर 3.52 रुपए पहुंची
कच्चा माल महंगा, मजदूरी बढ़ी
कारखाना मालिकों ने जताई चिंता
कोल्हापुर. इचलकरंजी का वस्त्रोद्योग एक बार फिर संकट में है। इंधन अधिभार के चलते बिजली दरें बढऩे से उद्योग जगत पर भारी आर्थिक बोझ पड़ा है, जिससे कारखाना मालिकों ने सरकार से त्वरित हस्तक्षेप की मांग की है।
वस्त्रोद्योग निर्माण के प्रमुख केंद्र इचलकरंजी के कारखानदार लगातार बढ़ती बिजली दर से जूझ रहे हैं। देशभर में कोयले और बिजली उत्पादन लागत में वृद्धि के चलते बिजली बिलों में प्रति यूनिट औसतन 85 पैसे तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सितंबर माह में हुई दरों में बढ़ोतरी का सीधा असर स्थानीय कारखानों पर पड़ा है।
कारखाना मालिकों के अनुसार, कुछ माह पहले तक प्रति यूनिट बिजली बिल 2 रुपए 80 पैसे था, जो अब बढक़र 3 रुपए 52 पैसे हो गया है। पहले 10 हजार रुपए का आने वाला बिल अब 12 हजार रुपए तक पहुंच गया है।
कच्चे माल की बढ़ती कीमतें, मजदूरों की तनख्वाह और बाजार में मंदी से पहले से ही उद्योग घाटे में हैं। अब बिजली दरों में बढ़ोतरी ने संकट और गहरा कर दिया है।
कारखाना मालिक महेश पाटील ने कहा कि हर साल इंधन अधिभार के नाम पर दरों में बढ़ोतरी की जाती है। इससे वस्त्रोद्योग लगातार संकट की ओर बढ़ रहा है। सरकार और जनप्रतिनिधियों को इस समस्या पर तुरंत ध्यान देना चाहिए।