खरगे ने भारत के भविष्य को लेकर व्यक्त की चिंतागदग के सहकारी कपास विक्रय समिति परिसर में सहकारिता क्षेत्र के भीष्म के.एच. पाटिल की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित कायक्रम को संबोधित करते हुए एआईसीसी अध्यक्ष एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे।

केंद्र सरकार पर परोक्ष रूप से किया हमला

गदग. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के अध्यक्ष एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि स्वास्थ्य, कृषि, सहकारिता और शिक्षा के क्षेत्रों को कम प्राथमिकता दिए जाने के कारण महान भारत के भविष्य को लेकर चिंता है।

वे रविवार को शहर के सहकारी कपास विक्रय समिति परिसर में सहकारिता क्षेत्र के भीष्म के.एच. पाटिल की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित कायक्रम का उद्घाटन कर बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि के.एच. पाटिल ने लोगों के कल्याण और राज्य के विकास के लिए कड़ी मेहनत की है। जिन्होंने कभी अन्याय बर्दाश्त नहीं किया, उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर हम सभी को राज्य और देश के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लडऩे का संकल्प लेने की जरूरत है। अन्यथा उनके जन्म शताब्दी कार्यक्रम का कोई मतलब नहीं होगा।

खरगे ने कहा कि लोग अच्छी तरह से शिक्षित होंगो तो ही एक राज्य और देश विकसित हो सकता है परन्तु केंद्र सरकार के गलत फैसलों और दोहरे रुख ने नवोदय, केंद्रीय विद्यालय और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। समग्र शिक्षा क्षेत्र में शिक्षकों के 50 प्रतिशत पद रिक्त हैं। पर्याप्त शिक्षक ही नहीं हैं तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना कैसे संभव है। उत्तर कर्नाटक में ब्रिटिश शासन अधिक इस लिए यहां के लोग शिक्षा के मामले में कुछ हद तक आगे हैं परन्तु अन्य स्थानों पर शिक्षा नाम मात्र की है। हैदराबाद कर्नाटक को 371जे आरक्षण मिला ने के बाद भी 37,000 शिक्षकों की कमी है।

उन्होंने कहा कि देश भर में 90,000 सरकारी प्राथमिक स्कूल बंद कर दिए गए हैं। इनमें से 50,000 स्कूल उत्तर प्रदेश और बिहार में हैं, जबकि शेष 40,000 स्कूल अन्य राज्यों में हैं। विश्वविद्यालयों में 5,400, नवोदय में 40,000 तथा केन्द्रीय विद्यालयों में शिक्षकों के 7,400 पद रिक्त हैं परन्तु निजी स्कूलों की संख्या में केवल 14 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, स्कूल और कॉलेज के छात्रों को छात्रवृत्ति के अवसर नहीं मिल रहे हैं और वे शिक्षा से विमुख हो रहे हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि यदि स्थिति ऐसी ही रही तो निश्चित रूप से गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा।

खरगे ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से न केवल शिक्षा, बल्कि सहकारी और संघीय संगठनों के साथ भी अनुचित व्यवहार किया जा रहा है। समय-समय पर आवश्यक सहायता उपलब्ध नहीं हो रही है। नाबार्ड से सहकारी क्षेत्र को मिलने वाले अनुदान में 57 प्रतिशत की कटौती की जा रही है। लोगों को इस अन्याय की निंदा करने के लिए तैयार रहना चाहिए। जब बात राज्य की आती है तो हमें पार्टी मतभेद को भुलाकर एकजुट होकर आंदोलन करना चाहिए।

उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, मंत्री ईश्वर खंड्रे, विधान परिषद के सभापति बसवराज होरट्टी, सहकारी संघ के अध्यक्ष एवं विधायक जी.टी. देवेगौड़ा ने भी संबोधित किया। विधान परिषद के पूर्व सदस्य और लोक शिक्षण ट्रस्ट के ट्रस्टी यू.बी. वेंकटेश, विधायक एन.एच. कोनरेड्डी, प्रसाद अब्बय्या और कई अन्य लोग उपस्थित थे।

पूर्व विधायक एवं लोक शिक्षण ट्रस्ट के ट्रस्टी डी.आर. पाटिल ने स्वागत किया गया। विधि, संसदीय कार्य और पर्यटन मंत्री एच.के. पाटिल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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