कुंदापुर की पंचगंगावली नदी बनी हजारों समुद्री पक्षियों का सुरक्षित ठिकानाटीलों पर जमा विशाल पक्षी समूह।

रेतीले टीलों पर ग्रेटर क्रेस्टेड टर्न, सिगल और अनेक प्रजातियों का जमावड़ा

पक्षी-प्रेमियों तथा फोटोग्राफरों का पसंदीदा स्थल

नाव सफारी से मिलता अनोखा अनुभव

उडुपी. कुंदापुर की पंचगंगावली नदी और उसके विस्तृत बैकवॉटर क्षेत्र इन दिनों समुद्री पक्षियों का विशाल आश्रयस्थल बन गया है। कोड़ी और उप्पिन कुद्रु जैसे तटवर्ती इलाकों में जलस्तर घटने पर उभरने वाले रेतीले टीलों पर ग्रेटर क्रेस्टेड टर्न, लेसर क्रेस्टेड टर्न, ब्राउन-हेडेड गॉल और ब्लैक-हेडेड गॉल प्रजातियों के हजारों पक्षी एक साथ दिखाई देते हैं।

बर्ड टूरिज्म का उभरता केंद्र

इन पक्षियों की उड़ान और कलरव को कैमरे में कैद करने राज्यभर से फोटोग्राफर और बर्डवॉचर पहुंचते हैं। स्थानीय नाविक पर्यटकों को नदी के मध्य स्थित टीलों तक ले जाकर नजदीक से दर्शन कराते हैं, जिससे यह क्षेत्र बर्ड टूरिज्म का उभरता केंद्र बन रहा है।

भोजन का प्रमुख आकर्षण

विशेषज्ञों का कहना है कि कुंदापुर के बैकवॉटर क्षेत्र में समुद्री पक्षी सालभर देखे जा सकते हैं, जबकि कुछ प्रजातियां-विशेषकर सिगल प्रवासी पक्षी हैं। बैकवॉटर में प्रचुर मत्स्य संपदा इनके भोजन का प्रमुख आकर्षण है।

विभिन्न प्रजातियों के पक्षी

पंचगंगावली नदी में पांच नदियों का संगम होता है और इसके तटीय भागों में फैले कांडला वन भी सैकड़ों प्रजातियों के पक्षियों को आश्रय प्रदान करते हैं। सुबह और शाम के समय नाव सफारी में पर्यटक विभिन्न प्रजातियों को एक साथ देख सकते हैं।

दुर्लभ कैब प्लोवर भी दर्ज

कुंदापुर के बैकवॉटर क्षेत्र में हर वर्ष बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं, यहां तक कि दुर्लभ कैब प्लोवर भी दर्ज किया गया है।
वी. लक्ष्मीनारायण उपाध्याय, पक्षी विशेषज्ञ

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