दिंगालेश्वर स्वामी

नाराज हुए भक्त बोले… पीठ या चुनाव
स्वामी के सामने भक्तों ने रखा विकल्प… पीठ छोडें
हुब्बल्ली. राज्य लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटा हुआ है। धारवाड़ से दिंगालेश्वर स्वामी मैदान में उतरे हैं। वे लिंगायत समुदाय की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए धारवाड़ लोकसभा क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इससे उनके भक्तों में असंतोष फैल गया है।
मठ के भक्तों ने कहा कि दिंगालेश्वर स्वामी को चुनाव लडऩे के अपने निर्णय पर दोबारा विचार करना चाहिए। वरना उन्होंने पीठ छोडऩे का विकल्प दिया है। वे स्वामी के फैसले का 18 अप्रेल तक इंतजार करेंगे। अन्यथा, यदि उन्हें चुनाव लडऩा है, तो उन्हें शिरहट्टी फकीरेश्वर मठ छोड़ देना चाहिए।

चुनाव चाहते हैं तो सीट छोड़ें!
उन्होंने कहा कि शिरहट्टी फकीरेश्वर मठ पीठ सांप्रदायिक सौहार्द के लिए जाना जाता है और स्वामी को राजनीति में आए बिना भक्तों को रास्ता दिखाना चाहिए। अगर केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने लिंगायतों के साथ अन्याय किया है तो समझदार लोगों को इसका खुलासा करना चाहिए। चुनाव लडऩा मठ के भक्तों के लिए भी ठीक नहीं है।
भक्तों ने चेतावनी दी है कि गदग, लक्ष्मेश्वर सहित विभिन्न हिस्सों के मठ के गंगन्ना महांतशेट्टर, वेंकनगौड़ा गोविंदगौडर और अन्य भक्तों ने शुक्रवार से बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित करके 18 अप्रेल तक इंतजार करने का फैसला किया है। अगर दिंगलेश्वर स्वामी चुनाव लड़ेंगे तो वे किसी दूसरे मठाधीश को चुनेंगे।

चुनावी मैदान में उतरे स्वामी के लिए नई मुसीबत!
मठ के भक्तों ने कहा कि भक्तों के इस कदम से स्वामी को बड़ा झटका लगा है परन्तु वे अपना मन बदलते हैं, तो वे अभी भी पीठ के प्रमुख के रूप में बने रह सकते हैं। दिंगालेश्वर स्वामी को राजनीति में नहीं आना चाहिए और किसी भी पार्टी का हिस्सा नहीं बनना चाहिए। वे समुदाय के लोगों के लिए हैं। दिंगालेश्वर स्वामी को दूसरों को रास्ता दिखाना चाहिए और दूसरों के लिए एक उदाहरण बनना चाहिए। उनके पास निर्णय के लिए अभी भी समय है उन्हें इस बारे में फिर से विचार करना चाहिए। चुनाव का इस्तेमाल बदला लेने या गुस्सा व्यक्त करने के लिए नहीं करना चाहिए। ये लोकतंत्र है। स्वामी को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए वरना हम 18 अप्रेल को फैसला लेंगे।
पूर्व विधायक गंगन्ना महांतशेट्टर ने कहा कि मठाधीशों को राजनीति किए बिना धार्मिक मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करनी चाहिए। दिंगालेश्वर अगर वह चुनाव लडऩा चाहते हैं तो उन्हें अपना भगवा चोला उतार कर पीठ छोड़ देना चाहिए।

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