विधान परिषद में प्रस्ताव, जांच की मांग
शिवमोग्गा. विधान परिषद सदस्य डॉ. धनंजय सार्जी ने उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. एमसी सुधाकर से आग्रह करते हुए कहा कि राज्य के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक कुवेम्पु विश्वविद्यालय का इतिहास 36 वर्षों का है परन्तु विश्वविद्यालय में व्यापक भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन है। इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
विधान परिषद सत्र में मंगलवार को यह मुद्दा उठाते हुए डॉ. धनंजय सार्जी ने कहा कि विभिन्न संगठनों ने हाल ही में कुवेम्पु विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार और कुशल प्रशासन में विफल रहे रजिस्ट्रार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर इसकी गहन जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय समाचार पत्रों में छपी खबर से पता चलता है कि विश्वविद्यालय में सब कुछ ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि देश का भविष्य और विद्यार्थियों के शैक्षणिक जीवन को आकार देने वाले विश्वविद्यालय में एक समान समय सारिणी के पालन में लापरवाही बरतने तथा प्रसारण विभाग में लाखों रुपए की हेराफेरी का मामला लोकायुक्त में दर्ज किया गया है।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि विश्वविद्यालय को मूल्य निर्धारण में त्रुटियों तथा एलएमएस के माध्यम से दूरस्थ शिक्षा में प्रवेश और अन्य शैक्षणिक प्रबंधन के लिए बेंगलूरु की एक कंपनी के साथ किए गए अनुबंध के कारण लाखों रुपए का नुकसान हुआ है।
हैरानी की बात यह है कि संस्था ने पहले खोले गए अध्ययन केंद्र के माध्यम से छात्रों से ली गई फीस का भुगतान नहीं किया है, जिससे विश्वविद्यालय पर करोड़ों रुपए बकाया हो गया है।
उन्होंने शिकायत की कि उक्त संस्था ने विश्वविद्यालय को दिए 30 लाख रुपए का चेक बाउंस होने के कारण मामला अदालत में है। ऐसी संस्था के साथ दोबारा काम करने से कई संदेह पैदा हो गए हैं।
कुवेम्पु विश्वविद्यालय ने दूरस्थ शिक्षा में पढ़ाई करने एलएमएस के माध्यम से प्रवेश लेने के लिए संस्थान के साथ अनेक आपत्तियों की अनदेखी कर केटीटीपी अधिनियम का उल्लंघन कर समझौता करने से विश्वविद्यालय को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। इसमें भ्रष्टाचार पाया जा रहा है, इसकी उचित जांच होनी चाहिए।