हुब्बल्ली/भाईन्दर. आचार्य मणिवंदन दर्शन यात्रा के अवसर पर खरतरगच्छ संघ ने आचार्य जिनमनोज्ञसुरिश्वर से दक्षिण भारत आगमन की विनती की। चातुर्मासार्थ भाईन्दर में विराजित आचार्य जिन मनोज्ञसागरसुरीश्वर आदि ठाणा के प्रवचन श्रवण के लिए कपोल निवास व्याख्यान हॉल पहुंचे।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य ने कहा कि आज ही के दिन गुरु इक्तिशा की रचना गोपाल ने की थी। वे जाति से सनातनी खवास थे, परन्तु दादागुरुदेव के प्रति उनकी असीम श्रद्धा के कारण गुरु इक्तिशा की रचना हुई। आज भी जन-जन इस जाप के माध्यम से अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
बाड़मेर जिले में आचार्य को बड़ी संख्या में सर्वसमाज के लोग अपने गुरु के रूप में मानते हुए श्रद्धा रखते हैं। इस अवसर पर धोरिमन्ना, बालोतरा, बाड़मेर से माली, राजपुरोहित, राजपूत समाज की महिलाएं और पुरुष भाईन्दर दर्शन करने पहुंचे।
आचार्य ने सभी से परिचय कराते हुए कहा कि उनके उपदेश से उनके भक्त किसी प्रकार का नशा नहीं करते। माली समाज ने समाजहित के लिए विशाल भवन का निर्माण किया है और श्रद्धा के भाव से भवन कार्यालय में उनकी तस्वीर स्थापित की है। उनके प्रत्येक चातुर्मास में श्रद्धालु दर्शन के लिए अवश्य आते हैं।
आचार्य ने कहा कि जैन समाज एक व्यवस्थित समाज है और जैन धर्म उन सभी का है जो अपने आचार-विचार से इस पर चलते हैं।
इसी क्रम में दादावाड़ी ट्रस्ट, हुब्बल्ली के सचिव पुखराज कवाड ने कहा कि जैन धर्म में धर्म परिवर्तन का स्थान नहीं है, परन्तु धर्म प्रवेश का स्थान है। जो व्यक्ति जैन धर्म की विवेचना समझता है, वह जैनधर्मी श्रावक बन जाता है।
अध्यक्ष रमेश बाफना ने आचार्य से दक्षिण भारत पधारने की विनती की, क्योंकि आचार्य अब तक पुणे से आगे दक्षिण भारत नहीं गए हैं। भाईन्दर खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष दीपचंद ललवानी, मदनलाल लुंकड़ और मिश्रीमल श्रीश्रीमाल ने रमेश बाफना का अभिनंदन किया।
इस अवसर पर पारसमल भंसाली, लालचंद टिमरेचा, जगदीश मालु, प्रकाश छाजेड, मोहनलाल कांकरिया, लूणकरण वडेरा, अशोक छाजेड, मनोहर मालु, जामतराज रांका, जवाहर छाजेड सहित कई सदस्य उपस्थित थे।
