किम्स निदेशक डॉ. रामलिंगप्पा अंटरतानी ने दी जानकारी
हुब्बल्ली. कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (किम्स) के निदेशक डॉ. रामलिंगप्पा अंटरतानी ने कहा कि वे पिछले 25 वर्षों से किम्स में सेवा दे रहे हैं। पिछले पांच वर्षों से किम्स के निदेशक के तौर पर किए गए विकास कार्य संतोषजनक रहे हैं। संस्था की मेडिकल और नॉन मेडिकल टीम का सहयोग ही इन सबका कारण है।
शहर के किम्स में मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. अंटरतानी ने कहा कि जब उन्होंने पदभार संभाला था तो कई समस्याएं थीं। 2019 से 2023 तक उन्होंने ईमानदारी से इनके समाधान के लिए काम किया है। खासकर कई वर्षों से मेडिकल स्टाफ की प्रोन्नति नहीं हुई थी। मेरे कार्यकाल में 178 व्याख्याताओं को प्रोन्नति दी गई है। 30 स्टाफ एवं बैकलॉग के 11 पदों की भर्ती हुई है। 15 अलग-अलग (स्वतंत्र) विभाग (डिवीजन) बनाए गए। ब्लड बैंक, प्लाज्मा थेरेपी, सेंट्रल लैब नवीनीकरण (अपग्रेडेशन), पैक्स-आरआईएस सिस्टम विकसित किया गया है।
उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक ऑडिटोरियम का नवीनीकरण, स्नातकोत्तर मेडिकल छात्रों के लिए छात्रावास का निर्माण, स्किल लैब, आपातकालीन देखभाल इकाई का निर्माण, द्वितीय कैथ लैब का निर्माण, कैंसर यूनिट का विकास, किडनी सर्जरी और कार्डियक सर्जरी शुरू की है।
अंटरतानी ने कहा कि पीएमएसवाई के तहत सुपर स्पेशलिटी अस्पताल निर्माण, न्यू एमसीएच ब्लॉक, कार्डियोलॉजी ब्लॉक, न्यू मोर्चरी का निर्माण किया गया है। आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रति माह 4.5 करोड़ रुपए कमाई हो रही है। अस्पताल में 250 सीसीटीवी कैमरे और बाहर 150 कैमरे लगाए गए हैं। पहले स्थित 1400 बेड को बढ़ाकर 2404 कर दिया गया है। हमने कोविड के दौरान अच्छा काम किया है। विशेष शिक्षण एवं अनुसंधान को लेकर अमरीका, इंग्लैंड एवं केएलई के साथ समझौता किया गया है।
संवाददाता सम्मेलन में किम्स के प्राचार्य डॉ. ईश्वर होसमनी, डॉ. राजशेखर द्याबेरी, डॉ. प्रकाश वारी, डॉ. महेश कुमार शंकर, डॉ. लक्ष्मीकांत लोकरे, डॉ. एम.आर. पाटील सहित अन्य लोग मौजूद थे।
54 करोड़ के अतिरिक्त अनुदान की जरुरत
डॉ. रामलिंगप्पा ने कहा कि किम्स में उत्तर कर्नाटक के 8 जिलों से मरीज आते हैं परन्तु मिलने वाला अनुदान कम है। कुल मिलाकर सरकार की ओर से सालाना 54 करोड़ रुपए अतिरिक्त अनुदान मिले तो अच्छा रहेगा। कर्मचारियों के वेतन को छोडक़र प्रति वर्ष केवल 24 करोड़ रुपए अनुदान आता है। इससे सभी तरह के खर्चों में दिक्कत आ रही है। बेंगलूरु अस्पताल के बराबर में किम्स है। वहां सालाना 74 करोड़ रुपए, मैसूर को 34 करोड़ रुपए अनुदान दिया जा रहा है। दवाई के लिए सालाना 40 करोड़ रुपए व्यय पार होता है। इसके चलते किम्स को हर साल अतिरिक्त राशि की मांग करने की नौबत आई है। उन्होंने कहा कि उन्होंने सभी के सहयोग से 4 साल के प्रशासन में अच्छा काम किया है। नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. एमआर पाटिल ने कहा कि किडनी प्रत्यारोपण की कई शल्य चिकित्साएं (सर्जरियां) पहले ही सफलतापूर्वक की जा चुकी हैं। अन्य ब्लड ग्रुप वाले लोगों में भी किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया गया है।