फाल्गुणी नदी में नाव यातायात योजना को दिया अंतिम रूप

मेंगलूरु. यह दक्षिण कन्नड़ जिले का राष्ट्रीय जलमार्ग है, जिसका नाम एनडब्ल्यू 43 है। इसके जरिए जिले में मेंगलूरु को पहला जल मार्ग मिला है। माल परिवहन और यात्रियों की आवाजाही में मदद के लिए फाल्गुणी नदी में नाव यातायात योजना को अंतिम रूप दिया गया है।

राज्य समुद्री बोर्ड की ओर से कुल 29.62 करोड़ रुपए की लागत में तैयार योजना को सागरमाला से अंतिम मंजूरी मिल गई है और जल्द ही काम शुरू हो जाएगा।

दक्षिण में होयगे बाजार और उत्तर में कूलूर यह दोनों इस जलमार्ग के समापन बिंदु हैं। इस परियोजना के परिचालन में आने पर मेंगलूरु शहर को बाईपास करते हुए, मुख्य रूप से कार्गो लॉरी बंदरगाह की ओर से नाव के जरिए कूलूर तक जा सकती हैं। इससे डीजल की बचत और शहर में यातायात को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। इसे पर्यटन के लिहाज से भी अच्छा बताया गया है।

नावों की संख्या बढ़ाने का है मौका

विभाग के अनुसार विभाग की ओर से ही नाव (बार्ज) परियोजना के संबंध में आवश्यक नाव खरीदे जाएंगे, जिसके लिए 6.45 करोड़ रुपए आरक्षित किए गए हैं। शुरुआत में एक नाव आएगी, जिसमें 4 ट्रक खड़े हो सकते हैं। प्रतिक्रिया अच्छी रही और मांग होने पर नावों की संख्या बढ़ाने का मौका है।

क्या है योजना में?

परियोजना को पुनर्जीवित करना

एनडब्ल्यू 43 में फाल्गुणी नदी पर होयगे बाजार और कूलूर में रैंप का निर्माण किया जाएगा। यह लॉरी या यात्री वाहनों के लिए नाव पर चढ़ने में मददगार है। कई मालवाहक लॉरी और मछली ट्रक मेंगलूरु के वाणिज्यिक केंद्र बंदरगाह में आवाजाही करते हैं। उनके चालक नाव के लिए न्यूनतम किराया देकर कूलूर ब्रिज के पास आकर शामिल हो सकते हैं, जहां से वे राजमार्ग पर अपनी यात्रा जारी रख सकते हैं।

भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने राज्य में चिन्हित 11 जलमार्गों में फाल्गुणी, नेत्रावती सहित कबिनी, काली और शरवती नदियों को माल परिवहन के लिए विकसित करने की खातिर वर्ष 2016-17 में एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत की थी परन्तु कार्गो परिवहन के लिए बहुत उपयुक्त नहीं है कहकर दी गई इस रिपोर्ट के कारण परियोजना को वापस ले लिया गया था। अब नाव परियोजना फिर से जीवंत हो गई है।

आसान होगी यात्रा

विभाग का मानना है कि मालवाहक वाहनों के लिए न्यूनतम किराया लिया जाएगा, लगातार वाहनों की अधिक संख्या के चलते नाव को लाभप्रद रूप से संचालित किया जा सकता है। वर्तमान में, बंदरगाह की तरफ की तंग संकरी गलियों में कार्गो लॉरियों की आवाजाही मुश्किल है। अगर नाव बिना किसी परेशानी के कूलूर पहुंच जाए तो यात्रा आसान हो जाएगी।अंतर्देशीय जल परिवहन विभाग की वर्तमान जानकारी के अनुसार नाव के जरिए पर्यटन के विकास का भी इरादा है।

निविदा के चरण में है परियोजना

इस के शुरू होने पर यह क्षेत्र की पहली परियोजना होगी। शहर में माल वाहनों और यात्री वाहनों के लिए मौका है। परियोजना निविदा के चरण में है।

कैप्टन. सी. स्वामी, निदेशक, बंदरगाह एवं अंतर्देशीय जल परिवहन

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